बेगूसराय : श्रीकृष्ण महिला कॉलेज बेगूसराय में वार्षिकोत्सव सह उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया। उद्घाटनकर्ता डॉ राकेश सिन्हा एवम मुख्य अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय थे। स्वागत भाषण कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ स्वपना चौधरी ने दिया। उन्होंने बताया कि सभी छात्र छत्राओं,कॉलेज प्रशाषन, जनप्रतिनिधियों और मीडिया बन्धु के अथक प्रयास से ही आज कॉलेज का चर्चा अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर होती रहती है,
महोत्सव को सम्बोधित करते हुए राकेश सिन्हा ने कहा
इस देश की मिट्टी की बुनियाद में कितनी जीवन्तता है इसकी कल्पना करना सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा गुलामी और दासता में क्या अंतर होता है विवशता गुलामी होती है उनकी यूरोपीय संस्कृति को अपनाना हमारी विवशता थी जब विवशता विशेषता बन जाती है तो दासता होती है यूरोपीय सांस्कृतिक गुलामी पॉइजन है,यह दासता से मुक्ति का समय है हमने भूगोल को तो अंगेजो से मुक्त कर दिया है लेकिन महानगर में बैठे वुद्धजीवी 130 करोड़ जनता को गुलामी के जकड़न में जकड़ी हुई है आज देश मे महत्वपूर्ण डिबेट शुरू हुआ है जो अंग्रेजों के जाने बाद ही शुरू होनी चाहिए थे लेकिन 7 दशक लग गये, हम क्यों पश्चिमी सभ्यता से सिख ले भारतीय सभ्यता इतनी पंगु नहीं है प्रतिवाद करना नैसर्गिग अधिकार है विचार का विकल्प होनी चाहिये।
जो प्रतिवाद करने की संस्कृति को मानता है सेकुलर है
प्रतिवाद करने की संस्कृति को मानता है वही भारत मे सेकुलर है दूसरा शब्द जो भारतीय संस्कृति की केंद्र बिंदु है प्रयोगधर्मिता इस देश की सृजनशीलता है शिक्षण संस्थान के लोगों को एक एक पल का उपगोग भारत माँ के लिये करना होगा समाजशास्त्र यूरोपीय है शिक्षा व्यवसाय जीवन की शैली जब राजनीति निर्धारित करने लगे तो वह प्रतिद्वंद पैदा करती है,उन्होंने कहा जो चुनौती की भासा में बात करते हैं उनके लिये कुश्ती करने हेतु एक अलग आइलैंड बना दिया जाय भारतभूमि श्रद्धा समर्पण मूल्यों संस्कृति की रक्षा करने बाले हर भारतीय को भारत को विश्वगुरु बनाने के लिये कृत संकल्पित होकर आज एक साथ आगे बढ़ने की जरूरत है भारत की जनता को लेफ्ट राइट में न उलझते हुए अपने संस्कृति को पहचानने की और अपने दैनिक जीवन में हिम्मत संकल्पित रोज नये प्रगति अवसर तलाशने की जरूरत है।
सरल स्वभाव में कहा हम कुछ भी नहीं है सिर्फ दस्खत करने के भागी है महिला कॉलेज को पुस्तकालय और शिक्षिका हॉल के लिए अपने कोस से 20 लाख और 5 लाख देने की घोषणा करता हूं।