551वीं जयंती पर याद किए गए सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक

बेगूसराय, 30 नवम्बर : सिखों के प्रथम गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के 551 वी जयंती पर सोमवार को उन्हें श्रद्धा पूर्वक याद किया गया। इस मौके पर गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति बेगूसराय द्वारा सिंघानिया धर्मशाला में सचिव मुकेश विक्रम की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित की गई। मौके पर मुकेश विक्रम ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन 15 अप्रैल 1469 को ननकाना साहिब पंजाब में जन्म हुआ था।

गुरु नानक अपने अमर वाणी, उपदेश, शायर, कवि, गृहस्थ और पर्यटक के साथ-साथ उदार प्रवृत्तिवादी मौलिक सिद्धांत के महान चिंतक थे। समाज सुधार के साथ आजीवन देशभक्त से ओतप्रोत रहे। समिति के कोषाध्यक्ष सुशील कुमार सिंघानिया ने कहा कि गुरु नानक के बाद नौ वें गुरु तेज बहादुर ने प्रथम गुरुदेव गुरु नानक के जीवन आदर्शों और मानव कल्याण के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए कश्मीरी पंडितों एवं अन्य हिंदुओं को औरंगजेब द्वारा बलपूर्वक मुसलमान बनाने का घोर विरोध किया।

अपने प्राणों की आहुति देकर सिर कटवा लिया, लेकिन मानव मूल्यों के हितार्थ हिंदू धर्म सिद्धांत की रक्षा करते हुए सांस्कृतिक विरासत को किसी के आगे झुकने नहीं दिया। सिर कटवा लिया, लेकिन इस्लाम नहीं कबूला, जीते जी सिख धर्म के साथ-साथ हिंदुओं के लिए अध्यात्मिक, समाजिक आर्थिक, उन्नयन के रास्ते रचनात्मकता कार्य किए।

कई स्थानों के भ्रमण करते हुए 1666 में अमृतसर से असम यात्रा के क्रम में पटना होते बेगूसराय पहुंचे और बेगूसराय कचहरी रोड में नानक देव साहिब गुरुद्वारा की स्थापना किए। एक अप्रैल 2021 को बेगूसराय कचहरी रोड गुरुद्वारा में पटना के तर्ज पर प्रकाश पर्व का आयोजन कराने के लिए जिलाधिकारी से अनुरोध कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री को प्रस्ताव भेजें।