खुशखबरी : 283 छात्रों को लेकर कोटा से बेगूसराय चली पहली ट्रेन, सोमवार को पहुँचेगी बरौनी जंक्शन

डेस्क : तमाम अटकलों के बीच आखिरकार कोटा से बिहारी छात्रों के बिहार आने का प्रक्रिया शुरू हो चुका है, विद्यार्थियों को लेकर 2 ट्रेन बेगूसराय (बरौनी) को आ रही है, आपको बतायें रविवार को पहली ट्रेन कोटा जंक्शन से 283 छात्रों को लेकर 12 बजे दिन में रवाना हुई वहीं दूसरी ट्रैन में 1200 छात्र को बैठाकर 3 बजे के बाद रवाना किया गया। सबकुछ ठीक था इंस्टिट्यूट के लोग बहुत केयर कर रहे थे लेकिन बस खाना खाने में डर लग रहा था क्योंकि खाना बाहर से आ रहा था।

रविवार को दोपहर 12 बजे खुलने बाली ट्रैन में बैठे बेगुसराय के एक छात्र ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि दिक्कत नहीं हो रहा था सिर्फ डर लग रहा था कि क्योंकि बहुत से छात्रों के लिए एक ही मेस में खाना बनता था और कहीं कोई भी कोरोना पॉजिटिव उस खाने के सम्पर्क में आ जाता तो हमलोग फोकट में संक्रमित हो जाते। उन्होंने बताया कि हमारे इंस्टिट्यूट के लोग हर वक्त मदद के लिये तैयार रहते थे बस एक फोन कॉल पर तुरंत रिस्पॉन्स लिया जा रहा था। घर की ओर आने में खुशी मिल रही है कितना खुश हैं इस प्रश्न पर भावुक होकर छात्र ने बताया कि आप दुनिया के अंदर कहीं भी रहें घर की याद तो आती ही है लेकिन विश्वाश एक बात का था कि जब देश को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने नफा नुकसान ना देखते हुए लॉकडाउन कर दिया तो नागरिकों की सुरक्षा तो होगी ही बस इसी धैर्य के साथ इतने दिन बीत गए आखिरकार घर चल ही दिये।

अगली बार उधर से प्रश्न पूछा कि कोरेन्टीन सेंटर में क्या व्यवस्था है जबाब नहीं थे हमारे पास क्योंकि इस एक महीने के अंदर बिहार सरकार की सारी व्यवस्थायों को धरातल पर देखा समझा और अनुभव किया था कि बिहार के लोग भगवान के भरोसे हैं क्योंकि सरकार के पास मास लेवल पर जान बचाने के संसाधन नहीं है, अगर इक्षाशक्ति भी है तो नीचे स्तर तक के पदाधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण गाँव के जनप्रतिनिधियों के द्वारा सरकारी आदेश की अवहेलना और कोरेन्टीन सेंटर की व्यवस्था आम जनता के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है, वहीं जनता के द्वारा भी सरकार को पूर्णतः सहयोग न मिलने के कारण प्रभावी तरीके कोरोना से जंग नहीं लड़ी जा रही है। बेशक सरकार और सरकार के तमाम उपक्रमों के द्वारा हर नागरिक को सुरक्षित रखने के प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन इसके सफलता की क्या ग्राफ है ये पटना में बैठे हुए तमाम बुद्धिजीवियों के लिये मंथन की विषय है।