जानें किन वजहों से बेगूसराय के प्रमंडल मुंगेर को विश्व प्रसिद्ध प्राप्त है

डेस्क : बेगूसराय से 50 किलोमीटर दूर स्थित योग नगरी मुंगेर कई कारणों से भारत में प्रसिद्ध है। वर्ष 1832 में मुंगेर जिला को भागलपुर से अलग किया गया था। उसके बाद कई दिन तक मुंगेर जिला का कमिश्नर भागलपुर ही रहा। बाद में भागलपुर से अलग करके मुंगेर को स्वतंत्र कमिश्नरी बनाया गया। बेगूसराय को भी मुंगेर से निकाल कर ही जिला बनाया गया है। महाभारत काल से ही मुंगेर प्रसिद्ध को प्राप्त करता रहा चाहे दर्शनीय स्थल ही या फिर यहां का अपराधिक घटनाओं का इतिहास हर तरह से मुंगेर प्रसिद्धि प्राप्त किए हुए हैं। जानते हैं इसे कुछ प्रसिद्ध बातें बेगूसराय के पड़ोसी जिला मुंगेर से संबंधित।

मुंगेर का किला : बंगाल के अंतिम नवाब मीर कासिम द्वारा बनवाया गया मुंगेर का किला बेहद ही प्रसिद्ध है। इस किले में 4 दरवाजे हैं जिसमें उत्तरी दरवाजे को लाल दरवाजा कहा जाता है। यह हिंदू और बौद्ध शैली के विस्तृत रूप से बना हुआ है जिसमें पत्थरों पर नक्काशी की गई है। इस किले मैं गुप्त सुरंग है जिसका इस्तेमाल राजा पहले एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए किया करते थे।

सीता कुंड : सीता माता के नाम पर बना हुआ यह कुंड श्रद्धालुओं के लिए आस्था का विषय है। धर्म शास्त्रों के अनुसार अग्नि परीक्षा देने के बाद सीता माता ने जिस कुंड में स्नान किया था। यही वही कुंड है। यहां पर माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को स्नान करने के लिए काफी ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। इस कुंड का पानी कभी कभी खुद ही 138 डिग्री फारेनहाइट तक गर्म हो जाता है।

बिहार स्कूल ऑफ योग : वर्ष 1964 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने बिहार स्कूल ऑफ योगा की स्थापना की थी। इसे गंगा दर्शन के नाम से भी जाना जाता है। यह विश्व का पहला योग विश्वविद्यालय है ।यहाँ शिक्षा प्राप्त करने के लिए आज भी विश्व के हर कोने से लोग आते जाते हैं।

शक्तिपीठ मंदिर : मां दुर्गा के प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मुंगेर में है। पुराणों के अनुसार यहां मां की बाई आंख गिरी थी। इसलिए यहां मां के नेत्रों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों को आंखों से संबंधित कोई परेशानी होती है वह अगर मां के दिए से उठने वाली लो का काजल लगा ले तो परेशानी ठीक हो जाती है। सालों भर श्रद्धालु गन माता के दर्शन के लिए यहां आते ही रहते हैं।

कष्टहरणी घाट : अपने नाम की सार्थकता को साबित करता हुआ यह घाट यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के कष्टों का हरण कर देता है। उत्तरवाहिनी गंगा के किनारे उगते सूर्य और अस्त होते सूर्य को देखना बहुत ही लुभावना होता है। मान्यता है कि विवाह के पश्चात जब माता सीता और प्रभु श्री राम लौट रहे थे तो यही पर रुक कर विश्राम किया था। इसी घाट के पास में माता सीता का चरण मंदिर है। इसे मन पत्थर के नाम से भी जाना जाता है।

मछ्ली तालाब : जैसा कि नाम से ही पता चलता है यह तालाब मछलियों की वजह से आकर्षण का केंद्र है। यहाँ पर रंगीन मछलियां रहती है।यहाँ शिव मंदिर के साथ पंचमुखी हनुमान का मंदिर है। चारों ओर लगे उद्यान और तालाब के किनारे लगे फव्वारे इस मंदिर की सुंदरता को बढ़ाते हैं। इसे मंदिर को सेठ गोयंका द्वारा बनवाया गया था। इसलिए इसे गोयंका शिवाला वाले महादेव भी कहा जाता है। गोयनका शिवाला मुंगेर में अद्वितीय संरचनाओं के साथ सुंदर मंदिर श्रृंखला में आता है। इन सबके अलावा भी मुंगेर कई सारे स्थल ऐसे ही यहाँ की वास्तुकला को समृद्ध बनाते हैं। मुंगेर गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक सुंदरता के समर्थ से बसा हुआ शहर है।