बेगूसराय में बाढ़ विकराल – जनता का हाल बेहाल , ग्राउंड जीरो पर स्थिति भयावह कई प्रकार की समस्याएं जानकर कांप जाएगी रूह

न्यूज डेस्क : गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि जारी है। सोमवार को हाथीदह में गंगा का जलस्तर 43.51 मीटर पर है। जो कि खतरा के लेवल से करीब दो मीटर ऊपर है। अभी जलस्तर राइजिंग ट्रेंड में है। हाथीदह में 2016 के हाई फ्लड लेवल को पानी क्रॉस कर चुका है। 21 अगस्त 2016 के उच्चतम जलस्तर रिकॉर्ड को तोड़कर ऊपर चढ़ चुका है । बेगूसराय के दक्षिणी भाग की बड़ी आबादी बाढ़ से हलकान है। सक्षम लोग या तो घरों के छत पर है। और अक्षम लोग अपने अपने घर छोर कर विस्थापित हो रहे हैं। जिला प्रशासन के द्वारा और जनप्रतिनिधियों , समाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा राहत कार्य भी चलाया तो जा रहा है, लेकिन इस आपदा में तमाम कोशिश नाकाफी साबित हो रहे हैं।

ये है ग्राउंड जीरो की तस्वीर और दर्द ए सितम हमारे विशेष सहयोगी अभिषेक शांडिल्य बेगूसराय जिले के बाढ़ प्रभावित गांव रामदीरी पहुंचते हैं। वहां पर ग्राउंड की तमाम वो मुश्किलें और हालात को देखने , समझने और टटोलने के बाद बताते हैं कि वहां कई तरह की समस्याओं से अवगत हुआ जो आम तौर पर एक शहरी व्यक्ति के ख्याल से भी परे होता है । अपने ही गांव में लोगों को शरणार्थी बनते देखा, पूरा गांव सूना हो चुका है । घर के बूढ़े-जवान स्कूल इत्यादि पर शरण लिए हुए हैं और अधिकतर बच्चे अपने रिश्तेदारों के यहां भेजे जा चुके हैं। अब बची है तो बस उम्मीदें, ये उम्मीद कि अब एक उंगल पानी घटेगी, अब कोई आएगा हमारी मदद करने, हालांकि कुछ लोग अपने पशुओं के साथ अपने ही घर पर किसी पिंजरे की तरह अंदर फंसे हैं। चूंकि उनके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है और उनके साथ घर की महिलाएं भी हैं जो अपने घर-परिवार के मोह में उन्हें छोड़कर नहीं जा सकती। ना कोई पूछने वाला है, ना ही कोई सुध लेने वाला ।

मोबाइल को झोला में लेकर करने जाते हैं चार्ज , शौचालय ध्वस्त , बिजली कटी और पशुचारा की कीमत चार गुणा तक बढ़ी अभिषेक कहते हैं कि गांव के जो थोड़े संपन्न घराने हैं उनके पास तो अपनी नाव है जिससे वे अपने घर पर थोड़ी-बहुत जरूरत की चीजें पहुंचा पा रहे हैं, मोबाइल वगैरह चार्ज करने के लिए बांध तक किसी तरह पहुंच रहे, दूध को सेंटर तक पहुंचा पा रहे, लेकिन जो उतने संपन्न नहीं हैं। उनके पास कोई चारा नहीं है। घूमते हुए हमें एक सज्जन से मुलाकात हुई जिनके झोले में 10-12 मोबाइल फोन था, ज्ञात हुआ कि बाढ़ आने के बाद बिजली काट दी गई है। जिनकी वजह से लोग अपना मोबाइल भी चार्ज नहीं कर पा रहे और उनका संपर्क टूट गया है, वो व्यक्ति बांध की तरफ आने वाले थे तो पानी में फंसे लोगों ने उन्हें अपना-अपना मोबाइल चार्ज करवाने को सौंप दिया था।

जिस घर पर हम रुके, शायद वही घर इलाके में सबसे ऊंचाई पर बसा था क्योंकि और घरों को हमने बुरी तरह डूबा देखा, जिसे हम इलाके के सबसे ऊंचाई पर बसा घर कह रहे हैं, पानी उस घर की भी दहलीज माप चुकी थी, शौचालय पहले ही बर्बाद हो चुका था, उस घर में पूरा हॉल मक्के से भरा था, 1-2 कमरे भूसे से भरा था, एक कमरे में खल्ली, इत्यादि थी, और घर के बांकी सामान जो आमतौर पर सभी घर में होते हैं वो तो पूरे घर में था ही, घर के सभी लोग अनाज सहित उस एक एक सामान को छत पर ले जाने को चिंतित थे। लगभग जितने लोगों से मिला जो लगातार पानी में रह रहे उन्हें पैर में घाव हो चुका है, जिसे गांव में “पकुआ” कहते हैं, सांप और कई तरह के कीड़े भी लोगों को परेशान करते हैं, ये तो मेरा निजी अनुभव भी है चूंकि कल पूरे दिन बाढ़ पीड़ित इलाके में कई प्रकार के कीड़े कभी कान पर कभी शरीर पर तो कभी चेहरे पर चढ़ आते, हमें ये भी बताया गया कि बाढ़ खत्म होने के बाद भी कई तरह की समस्याएं और बीमारी उत्पन्न होती है। जो इंसान और पशुओं को परेशान करती है। पशुओं के चारा के बारे में लोगों ने बताया कि यहां बाढ़ आते ही बगल के गांव में पशुओं के चारा का दाम 3 से 4 गुना बढ़ जाता है, आपदा को अवसर में बदलना इसे ही कहा गया है। खाना और पानी की बात करें तो खाना लोगों से खाया ही कहाँ जा रहा है और पानी तो दहलीज से ऊपर है।