बिहार में सबसे पहले ‘बेगूसराय’ में पुलिस ने बरामद किया AK-47

बिहार में पुलिस ने सबसे पहले बदमाशों के पास से पहली बार एके-47 बेगूसराय से बरामद किया था. यह 1990 का दशक था. बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद थे. तब बेगूसराय के बदमाशों की तूती बिहार भर में कायम थी. यह सम्राट अशोक, लखन सिंह, रामविलास मुखिया, डुमरा सूरज सिंह का युग था. मुजफ्फरपुर, हाजीपुर,गोरखपुर, पटना ,रांची तक के अपराधियों की शरणस्थली और सरक्षण का केन्द्र तब बेगूसराय क्षेत्र हुआ करता था. रेलवे के टेंडर पर वर्चस्व और कब्जे के लिए तब संघर्ष था.

हत्याओं का दौर वर्चस्व को लेकर गोलियों की तडतडाहट की खबर आम हुआ करती थी. वर्ष 1994-95 में बेगूसराय के एसपी बनकर आए थे बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय. तडक भडक के साथ अपराधियों के दमन में लगे पुलिस कप्तान के टारगेट पर अशोक सम्राट और मुखिया गैंग था. पुलिस को पक्की खबर थी बेगूसराय के अपराधी के पास 47 और 56 जैसे हथियार हैं. गुप्तेश्वर पांडेय ने दबिश बढाई. कई अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मार गिराए गए.

कई गिरफ्तार हुए. कई पुलिस दबिश से कोर्ट में हाजिर हो जेल पहुंच गए. इसी दबिश का नतीजा और पुलिस कप्तान की रणनीति की वजह से एक बदमाश टाटा-407 सवारी गाडी में एके47 छोडकर भाग गया. तब चर्चा थी कि पुलिस ने जिले के एक नामी अपराधी पर दवाब बनाया था कि वह या तो एके47 पुलिस को सौंप दे या मरने के लिए तैयार रहे.

बदमाश ने भागते हुए एके 47 टाटा सवारी बस में छोड फरार हो गए. यह बिहार में एके 47 बरामदगी का प्रथम मामला बना और पूरे देश के मीडिया की चर्चा में रहा. तत्कालीन डीजीपी ने खुद इस हथियार का मुआयना किया था. तब बिहार पुलिस इस हथियार से पूरी तरह अनभिज्ञ थी. पुलिस कप्तान के रूप में पांडेय जी को काफी वाहवाही भी मिली.