डेस्क : कुछ मसाले व फसल ऐसे होते हैं जिनकी अच्छी पैदावार के लिए ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती है। बगीचों में अक्सर मसालों की पैदावार भी कम धूप की स्थिति को देखते हुए की जाती है। कुछ खास मसाले अदरक, हल्दी जैसे फसल इस श्रेणी में मुख्यता आते हैं।
आई एफ एस के तहत नई तकनीकी खेती की शुरुआत की जाएगी : इंटीग्रेटेड फार्मिंग स्कीम के तहत किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने नई तकनीकी खेती की शुरुआत की है। अभी राज्य के 12 जिलों के बगीचों में इन फसलों की खेती करवाई जाएगी। योजना में चयनित हुए जिलों में वैशाली ,मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण ,शिवहर, सीतामढ़ी, भागलपुर, खगड़िया, बेगूसराय, सहरसा, समस्तीपुर, दरभंगा है। इस नई तकनीक योजनाओं के लाए जाने की वजह का उद्देश्य स्पष्ट है कि राज्य सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नए नए तरह के प्रयोग कर रही है। हर तरह से संभव प्रयास है कि किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हो।
राज्य कृषि विभाग का मुख्य उद्देश्य किसानों को मिले ज्यादा से ज्यादा लाभ : अक्सर बगीचों में पेड़ लगाने के बाद काफी जमीन खाली बची रह जाती है। अब इस योजना के तहत खाली बची जमीन का उपयोग मसालों की खेती के लिए होगा। इसे से किसानों को भी दुगना लाभ होगा। वह बगीचों में होने वाले फल तो बेचेंगे ही साथ ही साथ मसालों के व्यापार से भी मुनाफा कमा पाएंगे। राज्य के किसान औसतन साल में सिर्फ दो फसल की खेती करते हैं। मौसम अनुकूल रहने पर सरकार अब तीन फसल उगाने की योजना पर भी काम शुरू करने वाली है। मसालों की खेती में समेकित कृषि योजना पर जोर दिया जा रहा है। आम लीची जैसे फलों के बगीचे में 40% भूमि पर ही बागवानी होती है। 60% जमीन परती ही रह जाती है। अब इन में मसालों की खेती की जा सकेगी। धूप कम रहने पर उत्पादन पर भी असर नहीं पड़ेगा। योजना के तहत बगीचों में मसालों की खेती करने वाले किसान को तकनीकी सहायता के साथ-साथ बीज और खाद भी आधी कीमत पर सरकार ही उपलब्ध करवाएगी। अगर कृषि विभाग का यह प्रयोग सफल रहा तो वैज्ञानिकों की सलाह पर इसमें कुछ अन्य मसालों की फसलों को भी जोड़ा जाएगा।
देश की औसत से ज्यादा भू भाग पर राज्य में खेती की जा रही : बगीचों में उपलब्ध खाली जमीन के वास्तविक रकबे के आधार पर जरूरत का आकलन भी शुरू कर दिया गया है। बिहार राज्य में कुल भूभाग के 60% रकबे का उपयोग खेती के लिए किया जाता है। देश के औसत से काफी अधिक है क्योंकि देश का औसत 42% ही है। वर्तमान में बिहार में 1.57 लाख हेक्टेयर भूमि पर आम के बगीचे हैं। 33,269 हेक्टेयर पर लीची तथा 27,613 हेक्टेयर पर अमरूद के बगीचे हैं। राज्य सरकार फसल सघनता बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाना चाहती है। इसी क्रम में राज्य कृषि विभाग नई तकनीकों को अपनाकर राज्य के किसानों का फायदा करवाना चाह रही है