2020 में केजरीवाल-नीतीश के सामने सत्ता बचाने की चुनौती

एक तरफ है देश की राजधानी तो दूसरी तरफ है देश के एक ऐसे राज्य की कहानी जहां पर राजनीति का सियासती दांव पेच कभी मजबूत नजर आता है तो कभी कमजोर । भाजपा सरकार इस बार दोनों राज्यों को लेकर काफी सतर्कता के साथ हर कदम उठा रही है, वह कोई भी चूक नहीं करना चाहती है क्यूंकि वह बखूभी जानती है की बिहार में इस बार भाजपा-जदयू के साथ गठबंधन की सरकार है । एक से ज्यादा राज्यों में हार का मुँह देखने के बाद भाजपा की नीतियां कुछ बौखलाती नजर आ रही है ।

आपको बता दें की जैसे ही दिल्ली के विधान सभा चुनाव की तारीखे आयीं वैसे ही बिहार की राजनीतिक पार्टियां में भी गर्मी आ गयी है । एक तरफ पार्टी ने पोस्टर लगा कर अटकले लगायीं तो दूसरी और पार्टी ने सोशल मीडिया पर जमकर पलटवार करा । सूत्रों के हवाले से यह खबर है की इस बार बिहार के इलेक्शन में सीटों पर चर्चा कम रहेगी और साथ ही बिहार का चेहरा फिलहाल के लिए नितीश कुमार ही रहेंगे ।

दिल्ली की बात करें तो वहाँ पर भाजपा सरकार ने अपना मोहरा मनोज तिवारी को चुना है क्यूंकि दिल्ली के बिहारियों की ताकत केंद्र सरकार अच्छे से समझती है । खबर तो यहां तक है की लालू ने आरजेडी की गाडी को दिल्ली में उतारने का सोचा हुआ है ऐसे में दिल्ली में कई सीटों पर आरजेडी चुनाव लड़ती नजर आ सकती है । दिल्ली में बिहार के रहने वालो की संख्या भी अच्छी खासी है, जो सीटों की लाज बचा सकती है ।दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार से काफी संतुष्ट नजर आ रही है ।

हर जगह चीज़ें मानो फ्री हो गयी है बस के किराए से लेकर घर के बिजली के बिल के दाम ना के बराबर हो गए है और साथ ही शिक्षा पर केजरीवाल सरकार का काफी ध्यान है और पॉल्युशन को लेकर सरकार की ओड ईवेन की नीतियों से हम बखूभी समझ सकते है कि कौन कितना काम कर रहा है दिल्ली में। इलेक्शन कमीशन ने बता दिया है कि 8 फरवरी 2020 को दिल्ली में इलेक्शन हो जाएंगे और तीन दिन बाद यानी 11 फरवरी को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।

नीतिगत मुद्दों पर देखने को मिल सकती है कम चर्चा। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेता ने ऐसा कहा कि छोटे मोटे ब्यानबाजी तो चलती रहेगी पर इस बार नेता लोग निति गत मुद्दों पर चर्चा ना ही करें तो ज्यादा अच्छा होगा। इस कथन को निभाते हुए कई नेता इस बात को फॉलो कर रहे है क्योंकि इससे राजनीतिक नीतियां बिगड़ जाती है, हाल ही में हुए प्रशांत किशोर के बयानों से भाजपा में काफी प्रतिक्रिया हुई थी। इससे भाजपा कोई भी मौका नहीं गंवाना चाहती है क्योंकि 2021 में बंगाल के चुनांव भी होंगे और भाजपा समझती है कि एक भूल कितनी भारी पड़ सकती है।