बेगूसराय के तीन सीट पर नये विधायक की जीत से ज्यादा पुराने विधायक के हार के हो रहे हैं चर्चे

पोलिटिकल डेस्क : बेगूसराय में चुनाव और मतगणना खत्म होने के बाद भी राजनीतिक चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही है । लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है कहीं एक बार के जीते हुए विधायक के हार की चर्चा हो रही है । तो कहीं पूर्व मंत्री की बड़ी हार की चर्चा हो रही है। तो किसी के अभेद किला भेद दिए जाने की चर्चा हो रही है। बात हम बेगूसराय के 3 विधानसभा क्षेत्रों की करेंगे।

बात बेगूसराय सदर विधानसभा क्षेत्र, चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र और साथ ही साथ मटिहानी विधानसभा क्षेत्र की भी चर्चा की जाएगी। कहावत है कि शहर में तेरी जीत से ज्यादा मेरे हार के चर्चे हैं । तो बेगूसराय इन तीनों सीटों पर नये विधायक के जीत से ज्यादा पुराने विधायक के हार के चर्चे हैं। आपको बताते चलें कि बेगूसराय से एक बार के सिटिंग विधायक अमिता भूषण को भाजपा के कुंदन सिंह ने , चेरिया विधानसभा चुनाव में दो बार क विधायक व पूर्व मंत्री रही जदयू की मंजू वर्मा को राजद के राजवंशी महतों और मटिहानी से चार बार क विधायक रहे नरेंद्र सिंह उर्फ बोगो सिंह को लोजपा के राजकुमार सिंह ने हरा दिया ।

हार के कई कारण हो सकते हैं परंतु कुछ महत्वपूर्ण कारण जिसकी चर्चा चौक चौराहा , पान की गुमटी व चाय की दुकान पर हो रही है वो आपके लिए भी जाननी जरूरी है . चेरिया बरियारपुर से मंजू वर्मा के हार के कारण : इनके हार के कारण तो बहुत है जो इन्होंने कभी कबूल ही नहीं किया. चर्चा लोगों में हो रही है कि जिस दिन से मुजफ्फरपुर कांड बालिका गृह कांड सामने आया उसी दिन से इनका संस्कार मंद हो गया था और जनता ने 2020 में इनको बड़े अंतर से हराया । वैसे क्षेत्र में जदयू कार्यकर्ताओं के द्वारा आम जनता की समस्याओं को नकारना , अनुमंडलीय अस्पताल , कावर झील, जयमंगला गढ मन्दिर सहित अनुमंडल क्षेत्र के तमाम जर्जर सड़कों व कोई भी महत्वपूर्ण विकास के आयाम स्थापित न करना महंगा पड़ा । 10 सालों में एक भी काम नहीं किए जाने से जनता में आक्रोश था और निश्चित रूप से एंटी इनकंबेंसी वोट के तहत राजवंशी महतों की जीत हुई है वहीं एंटी इनकंबेंसी वोट पर मुजफ्फरपुर कांड का तड़का लगते ही जीत का आंकड़ा 40000 के पार पहुंच गया ।

सदर सीट से कांग्रेस की अमिता भूषन की हार के कारण : बेगूसराय का सदर सीट 2015 से पहले बीजेपी का परंपरागत सीट दिवंगत भोला बाबू ने बनाया था। जिसका मिथक 2015 में अमिता भूषन ने तोड़ दिया और उन्होंने कांग्रेस से जीत हासिल की थी । लेकिन 2015 के बाद 20 के चुनाव में फिर से बीजेपी कैंडिडेट ने इनको वापस हराकर यह सीट बीजेपी की झोली में डाल दी , अमिता भूषन के हार के बहुत कारण है लेकिन जो चर्चा ए खास बनी हुई है उसमें से कुछ कारण यह है कि लगातार इनके द्वारा बेगूसराय में उठ रहे विश्वविद्यालय की मांग को अनसुना करना, छात्रों को ठगना , जिले में एल एन एम यू के उप केंद्र के नाम पर विस्तार केंद्र का झुनझुना थमा देना , चुनाव से कुछ दिन पहले यह लगातार क्षेत्र में शिलान्यास के काम किए लेकिन उसमें से अधिकांश जगहों पर चुनाव के बाद यानी आज तक भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया , लोकल मीडिया एजेंसियों को तरजीह नहीं देना , गठबंधन के दल राजद व कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं को इनको सदर सीट पर कॉर्पोरेशन नहीं मिल पाया जो इनके हार की मुख्य वजह बनी ।

मटिहानी से जदयू के नरेंद्र सिंह उर्फ बोगो सिंह के हार की वजह : बोगो सिंह उस शख्स का नाम है जो 2005 में भाजपा से टिकट न मिलने पर मटिहानी से निर्दलीय विधायक चुने गए । बाद में जदयू ने इनको अगले चुनाव में पार्टी के टिकट से मैदान में उतारा और यह लगातार चार बार तक मटिहानी से विधायक बने । बोगो सिंह जनता के नेता माने जाते हैं इसमें कोई शक की बात नहीं है। लेकिन 20 20 के चुनाव में इनके गढ़ को स्वर्गीय कामदेव सिंह के पुत्र राजकुमार सिंह ने तोर दिया । इनके हार की कई प्रमुख कारण है लेकिन जो चर्चा ए खास बनी हुई है । उनके सामने कोई भी कैंडिडेट किसी चुनाव में टिकते ही नहीं थे यहां तक कि पिछले चुनाव में जिले के दिग्गज सर्वेश सिंह भी नहीं टिक पाए थे।

लेकिन इस बार चुनाव से पहले राजकुमार सिंह ने कांग्रेस से टिकट लेने की कोशिश की कांग्रेस से टिकट ना मिलने पर वे लोजपा से मैदान में आए। दूसरे ठीक उससे पहले ही बोगो सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मटिहानी में कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ है जो बोगो सिंह को हरा सके। राजकुमार सिंह ने अपने कुशल रणनीति से इस उक्त लाइन को पकड़ा और मटिहानी के आम जन तक पहुंचा दिया । जानकार बताते हैं कि लगातार 15 साल विधायक रहने से समर्थक से ज्यादा इनके विरोधी भी हो गए थे लेकिन दमदार कद काठी के नेता ना मिलने से विरोधी पर्दे के अंदर रहते थे। 2020 के चुनाव में राजकुमार सिंह के आने के बाद जो विरोधी पर्दे के भीतर थे वह बाहर निकले और इन को हराने के लिए दिन रात एक कर दिया । कहा जाता है कि बोगो सिंह उस शख्स का नाम है जो जनता के सुख और जनता के दुख में भी उसके साथ रहता है। लेकिन 2020 चुनाव से पहले मात्र एक लाइन ने उनको अर्श से फर्श पर ला दिया । यही चर्चा आम बनी हुई है हालांकि हार के बहुत सारे कारण हो सकते हैं।