बखरी, बेगूसराय: उत्तर बिहार की प्रसिद्ध व्यवसायिक व गल्ला मंडी बखरी अनुमंडल मुख्यालय का सलौना रेलवे स्टेशन आदर्श स्टेशन का दर्जा प्राप्त होने के बाबजूद विभागीय उपेक्षा का शिकार है, जिसका नतीजा यह है कि यहाँ यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है। समस्तीपुर-सहरसा भाया हसनपुर रेलखंड पर स्थित सलौना रेलवे स्टेशन विभाग को प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये का राजस्व देनेवाला स्टेशन है। विदित हो कि प्रत्येक वर्ष यहाँ लगभग दस लाख लोग यात्रा करते हैं जिससे दो करोड़ रुपये सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। और अगर इसमें रैक पर लोड होनेवाले मक्का एवं अन्य मालभाड़ा को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा करोड़ों मे पहुँच जाता है। फिर यहाँ असुविधाओं की फेहलिस्ट बड़ी लम्बी है।
सलौना स्टेशन पर सबसे बड़ी समस्या प्लेटफार्म एक व दो के मध्य उपरगामी पुल का नहीं होना है, जिस कारण यात्री जान जोखिम में डाल रेलवे लाइन क्रास कर दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाते हैं। मक्का लोडिंग के समय प्लेटफॉर्म नं दो को रैंक प्वाइंट के रूप में उपयोग होता है, जिससे क्रॉसिंग के समय बीच वाली मेन लाइन का उपयोग सवारी गाड़ी के लिए किया जाता है जो हमेशा एक बड़ी घटना को आमंत्रण देती रहती है। बार बार अलग रैंक प्वाइंट तथा उपरिगामी पुल की मांग को विभाग द्वारा अनसुना कर दिया जाता है।
पे एंड यूज शौचालय का शुरूआत कुछ महीनों पूर्व हुआ है मगर स्टेशन पर बने चार शौचालय में ताला लटका रहता है, जिसे जानकार यात्री द्वारा मांग करने पर दी जाती है। इसके अलावा पेयजल के लिए पांच चापाकल में तीन का सांसे चल रही हैं वहीं दो मृत प्राय हो गये हैं, जबकि इधर पानी के लिए नल लगाने का काम भी जारी है। रोशनी की बात करे तो ट्रेन आने के वक्त चकाचौंध रहती है, जैसे ही ट्रेन पास की इसकी चमक फीकी पड़ जाती है। उपलब्ध यात्री शेड एवं ठहराव की व्यवस्था यात्रियों की क्षमता से कम होने के कारण लोग पेड़ तथा खुले आसमान में बैठ कर ट्रेन आने का इंतजार करते हैं। जबकि महिला व पुरुष प्रतीक्षालय में ताला लटका रहता है जो किसी साहब के आने की खबर पर ही खुलती है।
वहीं सामान्य प्रतीक्षालय खुला ही है। क्रॉसिंग के समय थ्रो पास ट्रैक पर खड़ी गाड़ियों में चढ़ने के लिए यात्रियों खासकर महिलाएं, बूढ़े, बच्चे, विकलांगों एवं बीमार यात्रियों के को काफी फजीहत झेलनी पड़ती है। सलौना स्टेशन पर द्रुतगामी ट्रेनों का ठहराव नहीं होने के कारण दिल्ली सहित अन्य शहरों को जानेवाले यात्रियों को खगड़िया, समस्तीपुर, बेगूसराय अथवा मोकामा या बरौनी से ट्रेन पकड़ना पड़ता है। जबकि सलौना स्टेशन तीनो जिलों का सीमावर्ती क्षेत्र हैं जहां प्रत्येक दिन हजारों यात्री ट्रेन से यात्रा करते हैं। फिर भी यहाँ स्थायी पार्किंग तथा पार्क का अभाव है। एक मात्र अदद टिकट खिड़की होने से टिकट के लिए आये दिन यात्रियों के बीच मार पीट की भी नौबत आन पड़ती है। वहीं रिजर्वेशन काउंटर का नियमित रूप से संचालन नहीं होना लोगों के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है। इस सभी समस्याओं को लेकर कईयों बार दैनिक यात्री संघ व आमजनों के द्वारा रेलवे के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से लिखित व मौखिक रूप से हमेशा मांग किया जाता रहा है। मगर इसके बावजूद विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
उपरोक्त समस्याओं के बाबत पूछे जाने पर स्टेशन अधीक्षक विक्रमादित्य ने बताया कि स्टेशन के सौन्दर्यीकरण का काम तेजी से चल रहा है। उपरिगामी पुल तथा दो नंबर प्लेटफॉर्म को रैंक प्वाइंट से मुक्त कर नये रैंक प्वाइंट के निर्माण के लिए विभाग द्वारा अभी तक कोई सूचना नहीं है।
दैनिक यात्री में शिक्षक प्रमोद केशरी ने इस रेलखंड पर लूज़ टाइमिंग को चिंताजनक बताते हुए मेन लाइन पर ट्रेन में चढ़ने उतरने को बड़ी परेशानी कहा है।
दैनिक यात्री संघ के सचिव व बखरी विकास क्लब के अध्यक्ष व शिक्षक कौशल किशोर क्रांति ने सलौना स्टेशन पर लम्बी दूरी के द्रुतगामी ट्रेन के ठहराव नहीं होने तथा उपरिगामी पुल का नहीं होने से क्षेत्र के लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब कहा है।
जबकि सुनील पोद्दार, रविन्द्र प्रसाद, शंकर यादव, श्रवण साहू, गौकरण साह, मो परवेज आलम, बबलू आदि ने सलौना स्टेशन पर यात्री सुविधा बढ़ाने सहित एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग की है, ताकि यात्रियों को समस्याओं से दो चार नहीं होना पड़े तथा सलौना स्टेशन आदर्श स्टेशन की गरिमा को बरकरार रखें।