डेस्क : एक कहावत है ‘जाको राखे साईंयां, मार सके नकोय’ बिहार के बेगूसराय में यह कहावत चरितार्थ होते होते रह गई। जिले में डॉक्टरों ने एक नवजात बच्चे को मृत घोषित कर दिया और परिजनों ने उस बच्चे को मिट्टी में भी दफन कर दिया। फिर दफनाने के 40 घंटा बाद बच्चा जीवित मिलता है। जी.. हां यह बात सौ फीसदी सच है, इसे हम ईश्वर का चमत्कार ही कह सकते हैं जो क़ब्र में दफनाने के बाद भी जीवित पाया गया।
दरअसल, यह पूरा मामला बेगूसराय जिले के भगवानपुर प्रखंड क्षेत्र के चकदुल्लम बनवारीपुर गांव की है। जहां विनोद शर्मा की पत्नी का प्रसव आपरेशन के बाद शनिवार को अपराह्न लगभग 3 बजे होता है और वह एक बच्चे को जन्म देती है। फिर परिजन उस बच्चे को बेगूसराय से चकदुल्लम स्थित अपने घर ले आते हैं और उसी दिन शाम में बच्चा दम तोड़ देता। जिसे डाक्टर ने भी मृत घोषित कर देना है, तत्पश्चात उसी दिन उक्त बच्चे को परिजन क़ब्र में दफ़न कर देते हैं।
कहानी में मोड़ यहां से आया : सोमवार को बच्चा का दादा दिल्ली के एक परिचित भगत से दूरभाष पर बात करते हैं तब वह भगत ने बच्चे के दादा को कहते हैं कि आप सब्र रखें, आपका बच्चा क़ब्र में जिन्दा है बावजूद इसके लोगों को उक्त भगत की भविष्यवाणी पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन कुछ लोगों के सलाह के बाद परिजन सोमवार को लगभग ग्यारह बजे दिन में उक्त क़ब्र की खुदाई कर उक्त बच्चे को डाक्टर से दिखलाते हैं, लेकिन डॉक्टर को कुदरत की करिश्मा समझ में नहीं आता है। तब परिजन उक्त बच्चे को लेकर तेघड़ा थाना क्षेत्र के पिढौली गांव स्थित एक दूसरे भगत के यहां ले जाते हैं, जहां भगत के द्वारा बच्चे के शरीर पर नीर छीटने पर शरीर में हड़कत होते परिजन स्पष्ट देखते हैं।
परिजनों का कहना है कि एक स्थानीय डाक्टर ने भी उसे जीवित होने की बात कही है। परिजनों का यह भी दाबा है कि उक्त बच्चा मल मूत्र का त्याग भी करता है, उसके नाक से पानी भी गिरता है ।,दूध भी पीता है। अर्थात वह बच्चा डाक्टर की बातों को झुठलाते हुए जीवित है।