बरौनी रिफाइनरी में हो रही है देश के प्रथम ग्रीन कूलिंग टॉवर की स्थापना

बेगूसराय बरौनी : इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बरौनी रिफाइनरी में गुरुवार को आयोजित प्रेस मीट को संबोधित करते हुए कार्यपालक निदेशक शुक्ला मिस्त्री ने कहा कि पूरे भारत में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार एक अप्रैल 2020 से बीएस-सिक्स इंधन को शत-प्रतिशत लागू करना है। इंडियन ऑयल ने भी इसके लिए अपनी कमर कस लिया है। बरौनी रिफाइनरी निर्धारित समय सीमा से पहले ही बीएस-सिक्स इंधन का उत्पादन करने में सक्षम हो गई है। बरौनी रिफाइनरी ने बीएस-सिक्स मानक के पेट्रोल एवं डीजल के पहले बैच को सफलतापूर्वक डिस्पैच किया है।

डिगबोई के बाद बरौनी रिफाइनरी इंडियन ऑयल की दूसरी रिफाइनरी है जो आज की तारीख में हरित इंधन का उत्पादन कर रही है। बरौनी रिफाइनरी बीएस-सिक्स मानक के इंधन उत्पादन करने में सक्षम हो गई है पर चुनौतियां अभी शुरू हुई हैं। बीएस-सिक्स इंधन के उत्पादन के बाद अब हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारे सारे उत्पाद जल्द से जल्द बीएस सिक्स में स्थानांतरित हो जाए। दूसरी बड़ी चुनौती है कि सम्पूर्ण रूप से बीएस-सिक्स होने के बाद हमें इसकी आपूर्ति बनाए रखना है।

बरौनी रिफाइनरी में चल रही परियोजनाओं के बारे में उन्होंने बताया कि हरित ईंधन के उत्पादन हेतु बीएस-फोर एवं सिक्स परियोजना के अंतर्गत एआरयू (यू 908) यूनिट का निदेशक (रिफाइनरीज) एस एम वैद्य ने उद्घाटन किया। इसके साथ ही एनएचटी- सीसीआरयू के तहत सब स्टेशन-40 की चार्जिंग भी कमिशन की गई। देश के प्रथम ग्रीन कूलिंग टॉवर की स्थापना बरौनी रिफाइनरी में की जा रही है। बरौनी रिफाइनरी विस्तारीकरण परियोजना (छह से नौ एमएमटीपीए) के अंतर्गत नई एवीयू इकाई से संबंधित कार्य प्रगति पर हैं।

विस्तारीकरण परियोजना के अंतर्गत 11 नई यूनिट एवं एक नई पॉलीप्रोपलीन यूनिट की स्थापना की जाएगी, जिससे बिहार में पेट्रोकेमिकल उद्योग का आगाज होगा। इंडजेट परियोजना पर भी कार्य चल रहा है। एनएचटी-सीसीआरयू की कमिशनिंग भी जल्द की जाएगी जिससे रिफाइनरी का जीआरएम बढ़ेगा। नई परियोजनाओं की स्थापना के दौरान सभी पर्यावरण मानकों का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आईईएएस वर्ल्ड आउटलुक 2019 के अनुसार 2040 तक पूरे विश्व के तेल मांग का 45 प्रतिशत तक हिस्सा भारत का होगा। विश्व में एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। वहीं ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में तेल के बजाए इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर निवेश किया जा रहा है।

फिर भी बदलते हुए परिवेश में इंडियन ऑयल निरंतर नवोन्मेष कर रहा है। इंडियन ऑयल सोलर और पवन ऊर्जा जैसी एनर्जी में निवेश कर रहा है। बिजली चार्जिंग स्टेशन और नैचुरल गैस के लिए सिटी गैस डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क स्थापित कर रहा है। क्लीनर गैस की आपूर्ति के लिए गेल के साथ काम कर रहा है। बायो फ्यूल यूनिट की स्थापना कर रहा है और व्यापार के अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए पेट्रोकेमिकल का भी उत्पादन कर रहा है। एशिया का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र फरीदाबाद में इंडियन ऑयल द्वारा विकसित किया जा रहा है जिसमें इंधन के रूप में हाइड्रोजन गैस के प्रयोग एवं नवीन ऊर्जा के स्रोत को लेकर रिसर्च किया जाएगा।

वहीं इंडियन ऑयल हाइड्रोजन फ्यूल सेल में निवेश कर रहा है जिसकी आम बैट्री से अधिक उपयोगिता है। इसी दिशा में हाल ही में इंडियन ऑयल अनुसंधान एवं विकास केन्‍द्र ने देश का पहला हाइड्रोजन फ्यूल सेल पावर्ड फॉर्कलिफ्ट को लांच किया। पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के इस दौर में इंडियन ऑयल सार्थक पहल की दिशा में कार्य कर रहा है।

रिफाइनरी टाउनशिप के ऑफिसर्स क्लब में आयोजित वार्षिक प्रेस मीट का उद्घाटन कार्यपालक निदेशक शुक्ला मिस्त्री, मानस बरा, मुख्‍य महाप्रबंधक (मानव संसाधन), बी बी बरुआ मुख्‍य महाप्रबंधक (परियोजना), आर के झा, मुख्‍य महाप्रबंधक (तकनीकी सेवा एवं एचएसई) एवं बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। संचालन कॉर्पोरेट संचार प्रबंधक अंकिता श्रीवास्तव ने किया।

रिपोर्ट -वीरेन्द्र गोपाल