बखरी के सांस्कृतिक व साहित्यिक बिंदु का बौद्धिक केंद्र श्री विश्वबंधु पुस्तकालय अपनी स्थापना के स्वर्णिम व ऐतिहासिक पन्ने में युवाओं के लिए प्रेरणास्पंद व उज्जवल भविष्य की नीव रखी हुई है। जो आज के युवाओं के लिए गर्व की बात है, वहीं बखरी के लिए धरोहर है। आजादी के बाद स्थानीय युवाओं में साहित्य चेतना का प्रदुर्भाव हुआ, जिसके प्रतिफल बखरी जैसे सुदूर ग्रामीण व दलित-पिछड़े इलाके में कईयों छोटे-छोटे पुस्तकालयों यथा दुर्गा पुस्तकालय, राजेंद्र पुस्तकालय, स्वतंत्र छात्र पुस्तकालय, जनता पुस्तकालय, महाशक्ति पुस्तकालय एवं अमर पुस्तकालय का निर्माण हुआ। कहते हैं कि जब नदियां अलग-अलग बहती है, तो बरसात में बाढ़ की विभीषिका व गर्मी में सुखाड़ के प्रकोप से ग्रसित रहती हैं। वहीं वह समुंद्र में मिल जाती है तो उसे घनघोर बारिश व भीषण गर्मी भी कुछ नहीं बिगाड़ पाती है। स्पष्ट है वह मर्यादित होकर अनवरत अपने पथ पर प्रवाहित रहती है। ठीक इसी सकारात्मक सोच के साथ तत्कालीन युवाओं ने सभी छोटे बड़े पुस्तकालयों को एकीकृत कर श्री विश्वबंधु पुस्तकालय बखरी की स्थापना 64 वर्ष पहले 27 जुलाई 1956 ई. को किया।
इसके निर्माण की भूमिका भी बड़ा ही दिलचस्प है। स्थापना के साथ ही युवाओं ने इसकी मजबूती के लिए प्रयास शुरू हुआ, जिस कड़ी में सर्वप्रथम मेंही लाल साह केसरी ने भूमि दान कर इसकी शुरुआत किया, वहीं पुस्तकालय एकीकृत के प्रस्तावकों भागीरथ शर्मा, प्रभुनारायण वर्मा, रघुनंदन केसरी उर्फ बदलु केसरी, वाल्मीकि सिंह, प्रथम पुस्तकाध्यक्ष घुरन महतो आदि युवाओं ने मेहनत व लग्न के साथ-साथ श्रमदान किया, जबकि बखरी के प्रथम व तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी सरोजानंद चौधरी ने माथे पर ईंट ढो कर खुद इस शैक्षणिक इमारत की नींव रखी थी।
युवाओं का जोश सातवें आसमान पर था, जिसका परिणाम हुआ कि श्री विश्वबंधु पुस्तकालय बखरी अपनी स्थापना काल से लेकर अनवरत आज तक छात्र-छात्राओं के अभिव्यक्ति के विकास के लिए साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता यथा निबंध, भाषण, वाद विवाद, शतरंज, चित्रांकन, नृत्य, गायन, नाटक आदि का आयोजन करती आ रही है। जिसमें देश के नामचीन हस्तियों राजनितिक, सामाजिक, साहित्यिक व्यक्तियों का आगमन हुआ है। जिसमें बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री व बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह, जिनके द्वारा प्रदत्त रेडियो आज भी पुस्तकालय की गरिमा में चार चाँद लगाये हुए है। बिहार के तत्कालीन राज्यपाल डा. ए. आर. किदवई, तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, शिक्षा मंत्री मिश्री सदा, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, साहित्यकार आर सी प्रसाद, जानकीबल्लभ शास्त्री, रामपूजन सिंह, सांसद डा भोला सिंह, विधान पार्षद तनवीर हसन, विनोद चौधरी जिलाधिकारी ए के उपाध्याय, हरजोत कौर, दीपक कुमार, पी आर सिंह, एस पी गुप्तेश्वर पाण्डेय आदि अनेकों महानुभावों का आगमन संभव हुआ है।
श्री विश्वबंधु पुस्तकालय बखरी गैर सरकारी वरन् सार्वजनिक पुस्तकालय है। जिसका प्रबंधन बेमिशाल है, पूर्णतः त्याग व सेवा भाव के साथ सदस्य बंधु लोकतांत्रिक माध्यम से पुस्तकालय का संचालन करते हैं और देश दुनिया के आधार पर एक स्वलिखित संविधान के द्वारा प्रबंधकों को एक मर्यादा में बांधकर रखें है। यहीं संवैधानिक प्रबंधन पुस्तकालय को तरक्की के रास्ते पर खड़े किये हुए हैं। आज पुस्तकालय के पास दो मंजिला भव्य भवन, अध्ययन कक्ष, वाचनालय है, साथ ही हाल ही में दिगवंत हुए तत्कालीन सांसद प्रतिनिधि व पुस्तकालय के संरक्षण समिति के संयोजक रहे स्व. विष्णुदेव मालाकार ने पुस्तकालय के प्रति असीम स्नेहवश पुस्तकालय पोखर के मुहार पर सांसद रामजीवन सिंह व सूरजभान सिंह के निधि से दो अलग-अलग वाचनालय, पूर्व सचिव व वर्तमान वार्ड पार्षद नीरज नवीन के द्वारा आकर्षण सीढ़ीयुक्त पार्क निर्माण, चिल्ड्रेन पार्क, विधान पार्षद रजनीश कुमार के मद से सीढ़ी निर्माण का किया गया है, वहीं विधायक उपेंद्र पासवान द्वारा सभा कक्ष का निर्माण किया जा रहा है।
पुस्तक के मामले में श्री विश्वबंधु पुस्तकालय बखरी काफी धनी है, यहाँ प्रति वर्ष लाखों मूल्य की पुस्तकों की खरीद होती है, जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जागरूक नागरिकों के साथ-साथ प्रदेश के मंत्री, विधायक, सांसद आदि का अमूल्य योगदान है। यहीं कारण है कि बखरी जैसे पिछड़े इलाके के युवाओं ने इस पुस्तकालय के बदौलत देश दुनिया ही नहीं विदेशों में भी अपने नाम का परचम लहराया है और उच्च पदों को सुशोभित किया है। अवैतनिक कार्य प्रबंधन व सम्पूर्ण समाज सेवा भाव के द्वारा स्थानीय लोगों ने अपने धरोहर श्री विश्वबंधु पुस्तकालय बखरी को सिंचित कर रखा है, जो सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।
मां शारदे की ज्ञान मंदिर श्री विश्वबंधु पुस्तकालय, बखरी अनुमंडल का ऐतिहासिक धरोहर है। पुस्तकालय स्थापना का उद्देश्य इस क्षेत्र के शैक्षणिक वातावरण को कायम रखना है। जिसे पुस्तकालय परिवार अपने विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा सदा तत्पर एवं अग्रसर हो कर रही है।
पुस्तकालय के पूर्व सचिव व वर्तमान वार्ड पार्षद नीरज नवीन के अनुसार श्री विश्वबंधु पुस्तकालय, बखरी अनुमंडल के लोगों का हृदय स्तम्भ है जिसके विकास के बगैर इस क्षेत्र का विकास असंभव है। हम पूरी तन्मयता के साथ इसके उज्ज्वल भविष्य के लिए तत्पर रहेंगे।
वही श्री विश्व बन्धु पुस्तकालय बखरी के 64 वें स्थापना दिवस पर प्रख्यात शिक्षाविद् राज्यसभा सासंद प्रो राकेश सिन्हा द्वारा एक विडियो संदेश जारी कर पुस्तकालय के स्वर्णिम इतिहास और आधुनिक विकास की चर्चा करते हुए पुस्तकालय के उज्जवल भविष्य की कामना की है ,जबकि केन्द्रीय मंत्री सह स्थानीय सासंद गिरिराज सिंह ने श्री विश्व बन्धु पुस्तकालय को अनुमंडल का ह्रदय स्तंभ बताया और क्षेत्र के बौद्धिक एवं सांस्कृतिक विकास का अहम अंग बताया वहीं विधान पार्षद सह भाजपा के राष्ट्रीय मन्त्री रजनीश कुमार ने श्री विश्व बन्धु पुस्तकालय को जिले का गौरव बताते हुए पुस्तकालय के विकास के लिए सदैव तत्पर रहने की बात कही।वही भाजयुमो बिहार प्रदेश के क्षेत्रीय प्रभारी सह नगर पार्षद नीरज नवीन ने पुस्तकालय के विकास के बिना बखरी के विकास की कल्पना को अधूरा बताते हुए पुस्तकालय के विकास के लिए युवाओं को आगे आने का आह्वान किया।64 वे वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता डा विशाल कर रहे थे।संचालन सचिव डा आलोक कर रहे थे।मौके पर पुस्तकालय के संरक्षण समिति सदस्य रामचंद्र केसरी,भोला चौधरी,नगर पार्षद सिधेश आर्य, अधिवक्ता सतीश साहा,कौशल किशोर क्रान्ति, राजन,अंकेक्षक समीर श्रवण, दीपक सुल्तानिया, मनोज चौधरी,पिन्स सिंह आदि द्वारा वृक्षारोपण एवं दीप प्रज्वलन किया गया ।