डेस्क : हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। इस पर सारे अधिकारियों ने शोक व्यक्त करा। पर आपको बता दें की वह अपने पिताजी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने इस मामले पर अपने परिवार को एक पत्र भी लिखा है। उन्होंने कोरोना वायरस के विरुद्ध प्रतिबद्धता जताई है और अपनी माँ से भावुक अपील भी करी है। उन्होंने पत्र में जो अपने पिताजी के लिए लिखा है वह हम आपको बताने जा रहे हैं।
वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम और निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं अंतिम दर्शन न कर सका। कल 21 अप्रैल को लॉकडाउन के कारण अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाऊंगा। दरअसल ऐसा वह इसलिए कर रहे हैं क्यूंकि लोकडाउन में अंतिम संस्कार में भी कम से कम लोग सम्मिलित हो सकतें है। लोकडाउन के ख़तम होने के बाद वह अपने परिवार से जरूर मिलेंगे।
आगे उन्होंने कहा है की हमारी संस्कृति में संत बनने के बाद परिवार में कोई भी नहीं होता। अगर लोक संबंध जीवित हैं तो वह इंसान संत कभी नहीं बन सकता है। जिसने भी यह मर्यादाओं का पालन करा है उन्होंने ही असली संन्यास जीवन को धारण करा है। भगवान् राम भी अपने 14 वर्ष के संन्यास के दौरान अपने पिता यानी दशरथ के मरणोपरांत उपस्थित नहीं हो पाए थे। आपको बता दें की जैसे ही यह खबर योगी जी को मिली की उनके पिता की मृत्यु हो गई है उनकी आँखें तुरंत नम हो गई थी। लेकिन इस समय में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मीटिंग में सख्त कोरोना की गाइडलाइन फॉलो करने की हिदायत दी, साथ ही यह जानकारी ली की जो भी बच्चे कोटा से वापस आ रहे हैं , उनको होम क़्वारण्टीन करवाया गया या नहीं।