बेगूसराय में बहन की डोली उठने से ठीक एक दिन पहले उठी भाई की अर्थी, इलाके में माहौल गमगीन

न्यूज डेस्क : हर बहन अरमान होता है कि उसकी डोली भाई के कंधे पर उठे । मगर जिस दिन बहन की डोली उठने बाली हो उससे एक दिन पहले भाई की अर्थी उठे तो घरवाले और समाज पर क्या बीतेगा , यह हर कोई समझ सकता है। घर में शादी का गीत बज रहा हो और कुदरत की कहर से उस घर से अर्थी उठे तो इससे दुःखद और कुछ नहीं हो सकता। बेगूसराय के बखरी में एक बहन की शादी से ठीक एक दिन पहले उसके भाई की मौत हो गयी। कुदरत भी क्या अजीब खेल खेलती है।

कल तक जहां खुशियों की बहार झाल ढोलक की थाप पर विवाह के गीत गाए जा रहे थे, आज वहां चीत्कार मार रोने की आवाज से माहौल गमगीन है। घटना बेगूसराय के बखरी प्रखंड क्षेत्र के मोहनपुर पंचायत के गंगरहो गांव की है। जहां बहन की शादी से एक दिन पहले भाई की अर्थी उठ गई। हुए अचानक घटना से परिवार वालों के साथ साथ ग्रामीणों को भी गमगीन कर दिया। जिससे चंद मिनट पहले खुशियों का माहौल मातम में तब्दील हो गया। बताया जाता है कि शुक्रवार को रामजतन साह की पुत्री की बारात पहसारा से गंगरहो आनेवाली थी। लड़की का भाई रामाशीष बहन की शादी की तैयारी में जुटा था। गुरुवार को घर की महिलाएं गीत गाने के लिए बैठी थी। रामाशीष बाजा का तार जोड़ रहा था। तभी अचानक विद्युत प्रवाहित तार की चपेट में आ गया। जबतक घर के लोग कुछ समझ पाते तबतक उसकी मौत हो चुकी थी।

एक भाई की मौत 2007 में डूबने से हो गयी थी घटना के बाद घर में कोहराम मच गया। मां कानो देवी बार बार बेहोश हो रही थी। दो पुत्रों में रामाशीष छोटा था। बड़े पुत्र की मौत वर्ष 2007 में डूबने से हो गई थी। दूसरे बेटे की मौत को वह सहन नहीं कर पा रही थी। बार-बार कह रही थी हमको भी जाने दो जहां मेरा दोनों बेटा है। वहीं पिता की तो मानो बुढ़ापे का सहारा ही उठ गया। पथराई आंखों से वह कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। जबकि रामाशीष की आठ वर्षीया पुत्री अर्चना अपनी मां के सीने से लिपटकर दहाड़ मारकर रो रही रही थी।

मृतक के दो अबोध पुत्र निहार रहे थे सबका मुंह वहां मौजूद मृतक रामाशीष के छह वर्षीय पुत्र आयुष व चार वर्षीय पुत्र पीयूष सबके चेहरे को निहार रहा बों था। मासूम बच्चे शायद यह समझ की नहीं पा रहे थे कि उसके पिता का साया सदा के लिए उठ चुका है।

भाई के शव से लिपट कर दहाड़ मारते हुए रो रही थी बहन दूसरी ओर बहन रूपम जिसे उसका भाई शादी के बाद विदा करता एक दिन पहले वह खुद दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो गया। इस दुःख को वह सहन नहीं कर पा रही थी। भाई के शव से लिपट कर दहाड़ मारते हुए कह रही थी ये कैसी अनहोनी हो गई। हमको विदा करने के बजाय तुम हमेशा के लिए विदा हो गए।