डेस्क : एक तरफ जहां यह खबर सामने आई थी कि बाहर फंसे लोगों को अपने घर तक पहुंचाने के लिए बिहार सरकार ने उनका खर्च उठाने का जिम्मा लिया है, जहां उनके बस के खर्च बिहार सरकार उठाएगी…. पर आज हम आपको बता देंगे बिहार सरकार में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया है। जानकारी दे दे कि जब से दूसरे राज्यों से बिहार आने का सिलसिला शुरू हुआ तब से बुधवार को 28000 गुरुवार को 25 हजार बाहर फंसे लोग बिहार आ चुके हैं।
पूर्ण रूप से ट्रेनों से बिहार आ रहे प्रवासियों के लिए सरकार ने प्रखंड स्तरीय क्वॉरेंटाइन सेंटरों तक पहुंचाने की नि:शुल्क व्यवस्था कर रखी है। हालांकि इस दौरान बिहार में ये खबर आई थी कि निजी बसें बुक करवाकर बिहार आने वाले लोगों का किराया बिहार सरकार देगी। लेकिन परिवहन विभाग ने इस खबर का खंडन किया है। लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों और प्रवासी मजदूरों को निजी बस बुक कराकर बिहार लौटने की छूट नहीं दी गई है।
किराया देने जैसा कोई प्रावधान नहीं जानकारी दे दे कि परिवहन विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल से जब बातचीत की गई तो जानकारी मिली कि राज्य सरकार ने निजी बस बुक करा कर दूसरे राज्यों से बिहार आने पर उसका किराया देने जैसा कोई प्रावधान नहीं किया है। उन्होंने बताया कि वास्तव में राज्य सरकार द्वारा विशेष ट्रेन से बिहार के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर आए छात्रों और श्रमिकों के लिए उनके जिलों तक पहुंचाने के लिए बसों की निशुल्क व्यवस्था की गई है। साथ ही सभी जिला मुख्यालयों से प्रखंड स्तरीय कैंप तक पहुंचाने की भी मुफ्त व्यवस्था है।