प्रेरणादायक : बेगूसराय की दिव्यांग बेटी ने लहराया परचम, स्टेट पैरा ओलंपिक में जीता तीन गोल्ड मेडल

न्यूज डेस्क : कहा भी गया है यूं ही किसी की जयजयकार नहीं होती , कोशिश करने बालों की हार नहीं होती । दिव्यांगता के बावजूद बेगूसराय की बेटी ने साहस , मेहनत , लगन , आत्मविश्वास , दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत जो लकीर खिंची है। उससे हर जिला वासी गदगद है। बताते चलें कि पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पटना में आयोजित 21वीं बिहार स्टेट पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बेगूसराय की बेटी प्रतिभा कुमारी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए थ्रोइंग इवेंट (डिसकस, जेवलिन एवं शॉटपुट) खेलों में प्रथम रहते हुए तीन गोल्ड मेडल जीतकर जिले का नाम रौशन किया है। प्रतिभा ने एफ-53 कैटेगरी के थ्रोइंग इवेंट में भाग लिया था। जिसमें पूरे राज्य से छह लड़कियां शामिल थी और सभी को पीछे छोड़ते हुए तीनों खेल में प्रथम स्थान लाकर तीन गोल्ड मैडल अपने नाम किया।

हौसले की उड़ान भरने को दिव्यांगता नहीं है अभिशाप प्रतिभा ने बताया कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है, बस हौसले की जरूरत है। मुझे आगे बढ़ाने में परिवार एवं जिले के कई सामाजिक लोगों का सहयोग रहा है। मेरा लक्ष्य एवं सपना भारत की ओर से अंतरराष्ट्रीय पैरा ओलंपिक खेलों में भाग लेने का है जिसके लिए मैं मेहनत कर रही हूँ। प्रतिभा के इस उपलब्धि पर जिला खेल संयोजक विश्वजीत कुमार, शारीरिक शिक्षक रणधीर कुमार, एथलेटिक्स संघ के सचिव दीपक कुमार दीप, पेफी के जिला संयोजक मणिकांत, शारीरिक शिक्षक अशोक कुमार सिंह एवं पिंकी कुमारी आदि ने बधाई देते हुए आगे बेहतर प्रदर्शन करने की शुभकामनाए दी।

2007 के एक हादसे में दिव्यांग हुई प्रतिभा के संघर्ष की कहानी है प्रेरणादायक उल्लेखनीय है कि तेघड़ा प्रखंड के हरिहरपुर निवासी नंदकिशोर मिश्र एवं स्व. राजकुमारी देवी की पुत्री प्रतिभा कुमारी 2007 में एक दुर्घटना में स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी के कारण कमर से नीचे पूरी तरह से विकलांगता का शिकार हो गई। लंबे इलाज के कारण हौसले ने भी जबाव दे दिया लेकिन कहते हैं कि ईश्वर भी उसी की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं। इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए प्रतिभा ने अपने कमियों को पछाड़ते हुए इंटर, स्नातक एवं मास कम्युनिकेशन का कोर्स किया। इसके बाद पैरा एथलेटिक्स खेलों में भाग लेना शुरू किया तथा आज एक सफल खिलाड़ी के रूप में जिले ही नहीं पूरे राज्य में अपनी पहचान बनाई है। चार भाई बहनों में सबसे छोटी प्रतिभा कुमारी को हर कदम पर परिवार के सदस्यों का सहयोग मिला है, जिससे जीवन में कामयाबी की ओर कदम बढ़ा सकी है।