बेगूसराय की बेटी अन्नू के SDM बनने का सफर , एक समय उस मोड़ पर पहुंच गयीं जहां अक्सर लोग या तो जिंदगी छोर देते या जंग

न्यूज डेस्क , बेगूसराय : देश में जहां महिला सशक्तिकरण का दौर चल रहा है, वहीं अब भी महिलाओं को समाज में बराबरी का दर्जा न मिल सका है। पद, प्रतिष्ठा और धन प्राप्त करना हर किसी का सपना होता है। मगर, ये चीज हासिल उन्हें ही होता है जिनके सपनों में जान होती है। बेगूसराय शहर से करीब बीस किलोमीटर दूर स्थित मंझौल पंचायत ने की छोटे से गांव चौठैया टोला से निकलकर बड़े प्रशासनिक पद पर विराजमान होने वाली अन्नू कुमारी आज महिलाओं की प्रेणास्रोत बन गई हैं। 2018 में बीपीएससी (BPSC ) के माध्यम से इस पद तक पहुंचने में उनका संघर्ष बेगूसराय में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र- छात्राओं को हिम्मत देने बाला है।

कौन है जो अन्नू से बनी ASDM अन्नू मंझौल के एमएस कॉलेज (वित्तरहित इंटर कॉलेज) के प्रधान लिपिक अनिल कुमार सिंह व सुनीता देवी की चार बेटियों और एक बेटे में सबसे बड़ी संतान अन्नू हैं। कठिन परिस्थितियों, प्रतिकूल वातावरण और संसाधन विहीन गांव से निकलकर एएसडीएम बनने वाली अन्नू मंझौल के चारों पंचायत की इकलौती महिला अफसर हैं। अन्नू की प्रारंभिक शिक्षा उनके ननिहाल सदर प्रखंड के भैरवार मिड्ल स्कूल से हुई। मैट्रिक से स्नातक तक की पढ़ाई मंझौल से हुई। 2012 में उन्होंने यूपीएससी की पीटी निकाली। परंतु, घरेलू कारणों से उनकी पढ़ाई रुक गई। उसके दिन बाद ही अन्नू के साथ एक ऐसी घटना हुई, जो उन्हें जीवन के उस मोड़ पर पहुंचा दिया, जहां अक्सर लोग जिंदगी की जंग हार जाते हैं। घर वालों की कड़ी मशक्कत से वह किसी तरह खुद को संभाली और फिर से परीक्षाओं की तैयारी में जुटी। सबसे पहले सीडीपीओ ( CDPO ) की परीक्षा पास की। फिर 2018 में जारी 56 से 59वीं बीपीएससी में सफलता मिली । अन्नू अभी भागलपुर सदर अनुमंडल में बतौर ASDM कार्यरत हैं।

मानसिकता बदलने की वकालत करने बाले लोगों की फेहरिस्त में शामिल हैं अन्नू अन्नू कहती है कि महिलाओं को लेकर बातें बड़ी-बड़ी होती तो जरूर है, मगर जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है। कुछ को छोड़ दिया जाए तो अक्सर जगहों पर महिलाओं के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है, जिसकी मंचों पर हर कोई आलोचना करता सुनाई पड़ता है। महिलाओं को सम्मान भी तब दिया जाता है जब वह कड़ी मेहनत से कोई मुकाम हासिल कर लेती हैं। मेरा मानना है कि हमें बेटों के साथ साथ बेटियों पर भी पूरा विश्वास दिखाना चाहिए। मेरी सफलता के पीठे मेरे माता-पिता, रिश्तेदारों और गुरु जी का योगदान है।