बेगूसराय वांट्स दिनकर विश्वविद्यालय, 23 सितम्बर को ट्विटर ट्रेंड पर युवा होंगे गोलबंद

बेगूसराय / एजुकेशन रिपोर्टर : बिहार विधान सभा चुनाव 2020 से पहले बेगूसराय की राजनीति गर्म होना शुरू हो चुका है। इस बार बेगूसराय में नेताओं के द्वारा राजनीति या फिर बयानबाजी से नहीं बल्कि छात्र युवाओं की मांग ने बिहार सरकार को एकबार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। जिसके बाद से युवाओं ने सरकार पर बेगूसराय के साथ भेदभाव का आरोप लगाकर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के नाम पर बेगूसराय में विश्वविद्यालय का मांग करना शुरू कर दिया है।

दरअसल ये कोई नया मांग नहीं है बल्कि कई छात्र संगठनों के द्वारा करीब दो से उठाया जाने बाला मांग है जो अबतक पूरा न हो सका है। चुनाव से पहले उठे विश्वविद्यालय के मुद्दे ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के खोखले वादों की पोल खोल दी है। बेगूसराय में उच्च शिक्षा के नाम पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से सम्बद्ध तीन वित्तरहित डिग्री कॉलेज और पांच अंगीभूत कॉलेज हैं, जिसमे से सिर्फ शहर के जीडी कॉलेज में मास्टर डिग्री की पढ़ाई होती है। बांकी सभी कॉलेजों में सिर्फ डिग्री यानि स्नातक तक की पढ़ाई होती है। वोकेशनल कोर्स की ही पढाई शुरू करने को लेकर तो आज तक चर्चा भी नहीं हुई है।

छात्र नेताओं ने सरकार को चेताया : ये महज शुरुआत है सरकार जल्द ही बेगूसराय में दिनकर विश्वविद्यालय की घोषणा करे नहीं तो छात्र युवाओं के उग्र होने पर सारी जबाबदेही बिहार सरकार की होगी युवाओं ने कहा लॉकडाउन खुलते ही एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर छात्रों की ठेकेदारी करने वाले नेता का पोल खोला जाएगा

स्थानीय सांसद व विधायक को शिक्षा से नहीं है कोई मतलब , लड़ेंगे लड़ाई : आलोक बेगूसराय के लोग उद्योग नगरी के नाम से जानते हैं लेकिन यहां के लोगों का दुर्भाग्य है की औद्योगिक नगरी होने के बावजूद भी बेगूसराय में ना ही तो विश्वविद्यालय हैं , ना ही एम्स जैसे बड़े हॉस्पिटल एवं ना ही एयरपोर्ट जिस प्रकार से छात्रों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है लेकिन यहां के स्थानीय सांसद एवं विधायक को शिक्षा से कोई मतलब ही नहीं है। बेगूसराय में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के नाम से एक केंद्रीय विश्वविद्यालय हो, किसके लिए यहां के स्थानीय सांसद एवं विधायक को पहल करनी चाहिए लेकिन दुर्भाग्य है कि शिक्षा से इन लोगों को कोई मतलब ही नहीं है बेगूसराय के विकास के लिए बेगूसराय में एम्स अस्पताल की स्थापना हो और एयरपोर्ट का निर्माण हो क्योंकि बेगूसराय के अंदर एक सौ से ज्यादा किलोमीटर की दूरी के बाद ही एयरपोर्ट एवं एम्स जैसी अस्पताल हैं। अगर इन सब विषयों को प्राथमिकता अगर नहीं दी जाएगी तो युवाओं को गोलबंद होकर उसके लिए लड़ाई लड़नी होगी .

बिहार सरकार जल्द बेगूसराय में दिनकर विश्वविद्यालय की घोषणा करे नहीं तो छात्र युवाओं के उग्र : अबिगत शाण्डिल्य मिथिला विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अबिगत शांडिल्य ने बताया कि बेगूसराय के युवा दिनकर विश्वविद्यालय की भीख बिहार सरकार से नहीं मांग रहे हैं बल्कि यह बेगूसराय के छात्र युवाओं का हक है। उससे से भी पहले मिथिला विश्वविद्यालय जो कि बिहार का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है उसको केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान करने की मांग भी हमलोगों ने किया है, लेकिन छात्र युवाओं के प्रति सरकार के उदासीन रवैये से बेगूसराय सहित आसपास के जिला खगरिया और समस्तीपुर के युवाओं में भी आक्रोश है। उन्होंने कहा कि अकेले बेगूसराय में एक लाख की संख्या में छात्र हैं , जो कि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए छात्रों के न्यूनतम संख्या से कई गुणा है, बेगूसराय छात्र युवाओं में आगामी 23 सितम्बर बुधवार को बिहार सरकार से #दिनकरविश्वविद्यालयबेगूसराय की मांग को लेकर ट्विटर ट्रेंड चलाया जायेगा । ये महज शुरुआत है सरकार जल्द ही बेगूसराय में दिनकर विश्वविद्यालय की घोषणा करे नहीं तो छात्र युवाओं के उग्र होने पर सारी जबाबदेही बिहार सरकार की होगी।

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा विस्तार केंद्र : पुरषोत्तम जानवर घास चर रहे विस्तार केंद्र में 12 जुलाई 2016 का दिन बेगूसराय के छात्र छात्राओं के लिए ऐतिहासिक हो सकता था लेकिन कॉलेज प्रशासन, विश्वविद्यालय प्रशासन एवं कुछ तथाकथित छात्र संगठनों के कारण यह दिन छात्र छात्राओं के लिए काला दिन बन गया। खास राजनीतिक दल से संबंध तत्कालीन शिक्षा मंत्री ,नगर विधायक एवं उनके पार्टी के छात्र संगठन ने छात्र छात्राओं को ठगने के लिए उप केंद्र के जगह विस्तार केंद्र का झुनझुना थमाया। वह भी कॉलेज प्रशासन और विश्व विद्यालय प्रशासन के आपसी वर्चस्व की बलि चढ़ गया।आज तक दोनों एक दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी थोप रहे हैं पिछले दिनों विश्वविद्यालय छात्र संघ और कॉलेज छात्रसंघ के अथक प्रयास के बाद विश्वविद्यालय द्वारा एक पत्र जारी कर दो अस्थाई कर्मचारी की नियुक्ति करने एवं छात्र छात्राओं से आवेदन प्राप्त कर विश्वविद्यालय भेज कर कामकाज शुरू करने का आदेश दिया गया, किंतु कॉलेज प्रशासन आज तक उस पर कार्य नहीं कर पा रही है। लॉकडाउन खुलते ही एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर छात्रों की ठेकेदारी करने वाले नेता का पोल खोला जाएगा।