बेगूसराय : मंझौल के विकास को लेकर सरगर्मी तेज,जनप्रतिनिधियों की मांग और जदयू नेता की डिमांड,पढ़ें पूरी खबर

मंझौल : बेगूसराय के मंझौल अनुमंडल मुख्यालय में इन दिनों विकास की चर्चा तेज हो गयी है, कहा जा रहा है कि हाल ही में 17 मई को देर रात मंझौल के सत्यारा चौक का उत्तरी गोलंबर अज्ञात वाहन के ठोकर से टूट गया, जिससे मुख्य चौक का सौंदर्यीकरण बिगड़ गया है। जिसके बाद से विकास को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है, दरअसल बिहार सरकार के नगर विकास मंत्रालय से मिले विश्वस्त इनपुट की माने तो मंझौल को नगर निकाय बनाये जाने को लेकर चर्चा गर्म है।

मंझौल को प्रखण्ड मुख्यालय बनाने की उठी मांग : गुरुवार को मंझौल पंचायत चार के मुखिया राजेश कुमार ने बीडीओ चेरिया बरियारपुर को क्षेत्र की जनता और जनप्रतिनिधियों की ओर से आवेदन देकर मंझौल के नगर निकाय बनने से पहले प्रखण्ड मुख्यालय बनाने का मांग किया है,आवेदन में लिखा गया है कि अनुमंडल मुख्यालय की 90 % आबादी कृषि आधारित व्यवसाय और खेतीबाड़ी से जीवन यापन करने बाली जनता है। इसीलिए नगर निकाय बनने से पहले प्रखण्ड मुख्यालय का दर्जा प्रदान किया जाय, इस पत्र को बिहार सरकार को भेजकर सूचित किया जाय, जिससे मंझौल क्षेत्र की जनता का समुचित विकास हो सके ।

मंझौल के नगर निकाय बनने से हो पायेगा मंझौल का विकास : द बेगुसराय से बातचीत में सामाजिक कार्यकर्ता सह बेगुसराय युवा जदयू के जिला उपाध्यक्ष संजय कुमार ने कहा कि मंझौल की वर्तमान आबादी लगभग 70 हजार के आसपास है लेकिन अनुमंडल बनने के सालों बीत जाने के बाद भी अभी तक कायाकल्प को तरस रहा है। बस स्टैंड में व्यवस्था, लाइटिंग शहर का सौंदर्यीकरण, जल निकासी जैसे मूलभूत सुविधा नगर निकाय बनने पर मिल सकेगी। चूंकि बेगूसराय के अन्य अनुमंडल के अपेक्षा मंझौल अभी तक विकास से महरूम है। जयमंगला गढ़ और कावर झील पक्षी बिहार के मंझौल में होने से मंझौल का विकास होने के बाद बेगूसराय के साथ साथ बिहार राज्य भी पर्यटन क्षेत्र में रास्ट्रीय प्रसिद्धि पा सकता है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, सांसद , विधायक और बिहार सरकार से मांग करता हूँ कि जल्द से जल्द मंझौल को नगर निकाय का दर्जा प्रदान कर समुचित विकास किया जाय।

क्या है मंझौल अनुमंडल मुख्यालय की कहानी : आपको बता दें लगभग 30 साल पहले मंझौल को अनुमंडल मुख्यालय का दर्जा प्रदान किया गया लेकिन उसके बाद से इसके विकास के नाम पर एक भी नीतिगत फैसले नहीं हुए, सिर्फ एक मेजर मुकेश स्मृति भवन टाउन हॉल के अलावा अनुमंडलीय व्यवहार न्यायलय के नवनिर्मित भवन के सिवाय अभी तक कुछ भी नसीब नहीं हुआ है। शिक्षा क्षेत्र में सरकार के तमाम दावों और फैसलों के साथ मंझौल स्थित महिला कॉलेज मृत प्राय होने के साथ साथ जयमंगला हाई स्कूल और आरडीपी गर्ल्स हाई स्कूल के जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गये, वहीं आरसीएस कॉलेज में भी कुछ खास विकास नहीं हो पाया।

जो कि अत्यंत ही चिंतनीय है, वर्तमान समय में राजनीतिक गतिविधि की बात करें तो मुख्य धारा के राजनीतिक दल से ज्यादा छात्र राजनीति की सक्रियता रहती है। वाबजूद इसके अभी तक मंझौल अपने नाम के अनुरूप प्राप्त ख्याति औऱ स्वर्णिम भूत के साथ न्याय नहीं कर पा रहा है, शासन और प्रशासन में बैठे लोगों को यह बात समझनी चाहिये कि आज वास्तिवकता की बात करें तो मंझौल में विकास की असीम संभावनाएं हैं, कावर झील पक्षी बिहार, 52 शक्तिपीठों में एक जयमंगला गढ़ मंदिर के साथ साथ बगल के जिला में स्थित हसनपुर चीनी मिल के बदौलत इस क्षेत्र में पर्यटन और व्यवसाय को बढ़ावा देकर विकास के प्रतिमान स्थापित किये जा सकते हैं।