बेगूसराय : प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी देश के किसानों, पशुपालकों की आय में वृद्धि और हर एक भारतवासी को जहर मुक्त (रासायनिक खाद मुक्त) भोजन उपलब्ध कराने के लिए एक से बढ़कर एक योजना पर काम कर रहे हैं। वहीं, विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों के लिए काम कर रहे वैज्ञानिक भी खेती में लागत कम करने और लोगों को शुद्ध खान कैसे उपलब्ध मिल सके इसके लिए नया-नया प्रयोग कर रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों की एक कड़ी है क्रॉप गार्ड।
कई देशों में प्रतिबंधित फसल कीटनाशक का बिहार में जमकर उपयोग हो रहा है। इससे एक ओर किसानों के फसल का लागत मूल्य बढ़ रहा है, दूसरी ओर दुष्प्रभाव भी असाध्य बीमारी के तौर पर दिख रहा है। लेकिन अब कृषि क्षेत्र के शोधकर्ताओं ने कीटनाशक के विकल्प में क्रॉप गार्ड लाया है। इससे लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। खेत में मल्चिंग एवं ड्रीपलाइन के साथ क्रॉप गार्ड लगा दिया जाए तो सब्जी पूर्णतया शुद्ध रहेगी। बेगूसराय में इसका प्रयोग शुरू किया शकरपुरा के प्रगतिशील किसान कृष्णदेव राय ने। इन्होंने तीन एकड़ में टमाटर एवं शिमला मिर्च का खेती किया और इसमें किसी भी कीटनाशक के बदले क्रॉप गार्ड का प्रयोग किया गया।
इसके बाद अब जिला के दर्जनभर से अधिक किसान अपने खेतों में क्रॉप गार्ड लगा रहे हैं। खेत में दस-दस फीट की दूरी पर इंडोर एवं आउटडोर इंसेक्ट एडेसिव ट्रैप लगा इंसेक्ट ट्रैप बैग (क्रॉप गार्ड) लगाया गया है। पीला एवं नीला रंग के इस प्लास्टिक बैग पर प्रतिदिन हजारों हानिकारक कीट चिपक कर मर रहे हैं। कृष्णदेव राय ने बताया कि फसल में प्रति एकड़ कीटनाशक पर 15 से 20 हजार रुपया खर्च हो जाता है। छिड़काव के समय आंख, हाथ और मुंह ढंके होने के बाद भी कभी-कभार इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। वहीं, कीटनाशक के प्रयोग वाले सब्जी, फल आदि के उपयोग से डायरिया, दम्मा, साइनस, एलर्जी, मोतियाबिंद, कैंसर तथा पुरुष प्रजनन क्षमता में कमी का खतरा 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। मां के स्तनपान से बच्चे भी प्रभावित हो जाते हैं। लेकिन प्रति फसल पन्द्रह से अठारह सौ रुपया खर्च कर शुद्ध और कीटनाशक रासायन मुक्त फसल तैयार किया जा सकता है।
इससे एक ओर फसल की लागत कम होगी, समय की बचत होगी, तो दूसरी ओर लोग रोगों से मुक्त रहेंगे। क्रॉप गार्ड को मल्चिंग सिस्टम से खेती कर लगाया जाए तो सब्जी मिट्टी के सीधे संपर्क में भी नहीं आएगा। इस संबंध में डॉ. रमण कुमार झा ने बताया कि रासायनों के बढ़ते प्रयोग से साग, सब्जी, फल में कीटनाशक का स्तर पांच से 68 पीपीएम तक पहुंच गया है। प्रत्येक दिन मरीजों की जांच में पाया जा रहा है कि रासायनिक कीटनाशक का दुष्प्रभाव है। इससे बच्चे से बूढ़े तक में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। महिलाओं में स्तन कैंसर, गर्भपात एवं मासिक धर्म की अनियमितता पर प्रभाव पड़ने के साथ पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी हो रही है।