गढ़हरा में श्री कृष्ण जन्माष्टमी मेला का आयोजन नही होने से श्रद्धालुओं में छाई मायूसी

गढ़हरा गढ़हरा क्षेत्र में इस साल भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी मेला के आयोजन नहीं होने से क्षेत्र के श्रद्धालुओं में मायूसी उतपन्न हो गई है। दो साल की भाँति इस साल भी भगवान श्रीकृष्ण मंदिर, आरपीएसएफ बैरेक गढ़हरा के प्रांगण में श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया गया। वहीं ऐतिहासिक गढ़हरा मेला के नाम पर श्रद्धालु लोग मेला स्थल पर पहुँच रहे हैं, लेकिन यहाँ एक तरफ श्री कृष्ण की भव्य झाँकी को दर्शन कर प्रसन्ता जाहिर कर रहे हैं।

वहीं दूसरे तरफ मेला पर प्रतिबंध लगने से मायूस हो कर श्रद्धालु घर लौट रहे हैं। वहीं गढ़हरा मेला स्थल पर मौजूद फुटकर विक्रेता राजेन्द्र जी आर्य ने बताया कि गढ़हरा में मेला लगने से हमलोग जैसे गरीब आदमी का उद्धार होता था। उन्होंने कहा पिछले 50 वर्षों से गढ़हरा-बरौनी में ऐतिहासिक मेला का आयोजन होते आ रहा है। इधर कई वर्षों से कुछ कारणवश मेला पर प्रतिबंध लग गया। फिर भी यहाँ के लोग प्रयास में लगे हुए हैं कि यहाँ पुनः मेला का आयोजन हो। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पिछले तीन साल से पूजन तक ही रह कर सिमट गई।

पिछले दो साल से कोरोना के कारण हर जगह मेला पर प्रतिबंध लगा हुआ था। लेकिन गढ़हरा में पुनः मेला लगने की उम्मीद ही धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इससे उन लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया जो लोग पूरे साल से मेला का तैयारी कर रहे थे और इंतजार कर रहे थे कि वह अपनी दुकानें लगाएंगे ताकि उनको कुछ आय होगी। मालूम हो कि वर्षों पूर्व गढ़हरा-बरौनी में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजन सह मेला का शुरुआत करने वाले बरौनी आरपीएफ पोस्ट के इंचार्ज सगीर उद्दीन चिश्ती थे। जिन्होंने बरौनी आरपीएफ पोस्ट से पूजन कार्य को प्रारम्भ किया।

जिसके उपरांत गढ़हारा आरपीएफ पोस्ट में भी पूजन कार्य प्रारंभ हुआ। देश मे गढ़हरा, बरौनी एवं तेघड़ा मेला का एक अलग पहचान बना हुआ है। पहले गढ़हरा मेला को देखने के लिए लोग दूर-दूर से ट्रेन पकड़ के अपने-अपने रिश्तेदार के यहाँ आते थे। यहाँ पाँचों दिन मशहूर कलाकारों के द्वारा अलग-अलग प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता था। गढ़हरा मेला की सौंदर्यता अभी भी लोगों के जहन में वसा हुआ है। लोग पिछले स्मरण को भुला नही पा रहे हैं।