कुदरत की ऐसी करिश्मा : 17 साल पहले घर से भटके अरमान को बेगूसराय में परिजनों से मिलाया

न्यूज डेस्क , बेगूसराय : कुदरत का करिश्मा भी क्या गजब होता है। 17 साल पहले झारखंड के गिरिडीह से भटका हुआ बच्चा आखिरकार अपने माँ पिता को मिल गया। दरअसल यह बच्चा मानसिक तौर पर थोड़ा कमजोर था । जिस वजह से वह अपने घर का पता तक नहीं बता सकता था । परन्तु होनी जब प्रबल होती है तो असंभव भी संभव हो जाता है । दीदी अरमान अपने घर जाऐगा सुनकर खुशी से आसूॅं छलक जाते हैं।

17 साल बाद अपने घर से बिछडा़ हुआ मो अरमान मंगलवार को अपने परिवार के साथ घर गया। उक्त घटना कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि बेगूसराय बाल गृह की है सीडब्लूसी की मजिस्ट्रेट प्रीति गौतम ने बताया की शनिवार को एस आई आर ( SIR ) रिपोर्ट आने के बाद चार सदस्य सीडब्लूसी की फुल बैंच ने मो अरमान को अपने परिवार के साथ जाने का आदेश दिया। अरमान मूलतः झारखण्ड के गिरीडीह जिला के बहीति बाजार का रहने वाला है जो पांच साल की उम्र में कमजोर मानसिकता के कारण घर से भटक कर 2004 में पटना में पुलिस को मिला।

जिसे पटना सीडब्लूसी को पुलिस ने सौप दिया। जिसके चार बर्ष बाद 2008 में बेगूसराय बालगृह अरमान को भेज दिया गया । मानसिक रुप से कमजोर होने के कारण परिवार का पता नहीं बता पा रहा था । प्रीति गौतम ने बताया कि इसी बीच तीन माह पूर्व काल्पनिक नाम मो अरवाज जो उसके गांव के पडो़स का था वह भटकता हुआ बच्चा संयोग से बेगूसराय बालगृह आया। जिसका अरमान से परिचय हुआ जब वो घर गिरीडीह गया तो अपने परिवार को बताया तो परिवार वालों ने बताया उक्त बच्चा यहीं का है फिर फोन से संपर्क हुआ तो सीडब्लूसी ने एस आई आर रिपोर्ट लाने का आदेश डीसीपीयू को दिया तो पता चला उसके पिता मो मसूंर आलम माता हूसना बानू एंव चार भाई एक बहन है।

उसके माता पिता भाई अरमान को देखने आया तो दोनों एक दूसरे को पहचान गया उस उंपरात बच्चों को छोड़ने का आदेश सीडब्लूसी मजिस्ट्रेट बोर्ड अध्यक्ष संगीता कुमारी, सदस्य प्रीति गौतम, पुष्पा कुमारी, पूजा कुमारी ने दिया । फिर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी गींताजली प्रसाद एंव बालगृह प्रभारी अधीक्षक सूरज कुमार ने अरमान को उसके परिवार के हाथों मंगलवार को सौंप दिया ।