डेस्क : केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की बरौनी, गोरखपुर और सिंदरी में बनने वाली तीन इकाइयों को ‘नई निवेश नीति-2012’ के दायरे में लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सरकार ने जनवरी 2013 में नई निवेश नीति (एनआईपी)- 2012 की घोषणा की थी
यूरिया क्षेत्र में नए निवेश की सुविधा के लिए तथा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अक्टूबर, 2014 में इसमें संशोधन किया गया था। वही सरकारी बयान में कहा गया है, “पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने एचयूआरएल की इन तीन इकाइयों को नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012 के दायरे में लाने के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।”
एचयूआरएल, जून, 2016 में बना था। यह कोल इंडिया लिमिटेड, NTPC और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का एक संयुक्त उद्यम है। यह 12.7 लाख टन प्रति वर्ष (प्रत्येक) की स्थापित क्षमता के साथ नए गैस आधारित यूरिया संयंत्र स्थापित करके एफसीआईएल की पूर्ववर्ती गोरखपुर और सिंदरी इकाइयों और जीएफसीएल की बरौनी इकाई को पुनर्जीवित कर रहा है। इन तीन एचयूआरएल यूरिया परियोजनाओं की लागत 25,120 करोड़ रुपये है।
गेल इन तीनों इकाइयों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति कर रही है। आपको बता दे की यह परियोजनायें, न केवल किसानों को उर्वरक की उपलब्धता की स्थिति में सुधार करेगी बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सड़क, रेलवे, सहायक उद्योग आदि जैसे बुनियादी ढांचे के विकास सहित क्षेत्र में अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा देगी। इन तीन उत्पादन केन्द्रों का उद्देश्य 7 राज्यों बिहार, यूपी, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में यूरिया की मांग को पूरा करना है।