बिहार के सिमरिया में कल्पवास मेला को मिली मंजूरी, श्रद्धालुओं को कोरोना के इन गाइडलाइन्स का पालन करना होगा.. जानें –

न्यूज डेस्क: सदियों से चलती आ रही सनातन संस्कृति की परंपरा पिछले 2 साल से बंद परी थी, कोरोना के कहर के कारण बेगूसराय के सिमरिया में पावन गंगा नदी के तट पर लगने वाले एशिया के सबसे बड़े कल्पवास मेला स्थल पर सन्नाटा पसरा हुआ था।

यहा के तट पर रहने वाले गुरुओ की माने तो कार्तिक कल्पवास मेले पर कोरोना की भेंट चढ़ गई थी। पर अब श्रद्धालुओं और साधु-संतों की भावना को देखते हुए बिहार के सिमरिया गंगा घाट पर कल्पवास करने पर लगाई गई रोक को हटा दी गई है। यानी की अब मिथिला और मगध के संगम स्थल बेगूसराय के सिमरिया में बिहार और देश के अलग-अलग राज्य सहित पड़ोसी देश नेपाल से आने वाले श्रद्धालु, साधु-संत कल्पवास कर सकते हैं। पर इस बार भीड़-भाड़ या परिक्रमा का आयोजन किसी भी हालत में नहीं किया जाएगा। सभी लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, वही कोरोना की जांच भी की जाएगी।

बेगूसराय डीएम अरविंद कुमार वर्मा की माने तो गृह विभाग से प्राप्त निर्देश के आलोक में 2020 की तरह इस वर्ष भी 17 अक्टूबर से 19 नवंबर तक चलने वाले कल्पवास के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन मां गंगा सिमरिया घाट सेवा समिति राजकीय कल्पवास मेला के महासचिव ने साधु-संतों द्वारा कल्पवास क्षेत्र में सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए कल्पवास मेला का आयोजन करने के लिए कई बार अनुरोध किया था। जिसके बाद श्रद्धालुओं को सिमरिया घाट आने एवं अपने कल्पवास को पूरा करने की सीमित रूप में अनुमति शर्त के साथ दी गई है। इसमे श्रद्धालुओं को कोविड-19 के संक्रमण से बचाना है। सभी साधु-संतों को कोरोना गाईड लाईन का पालन करना होगा। किसी प्रकार के मेला का आयोजन नहीं किया जाएगा, परिक्रमा एवं जुलूस पर रोक रहेगी, आदेश का उल्लंघन होने पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी।

इसमे मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को पर्याप्त संख्या में मेडिकल टीम, दवा आदि की व्यवस्था करने के हिदायत दी गई है। तथा समय-समय पर कोरोना की जांच कराने का आदेश भी दिया गया है। साधु-संत एवं खालसा समिति भीड़ नहीं लगाएंगे तथा कोविड के प्रोटोकॉल का हर हालत में पालन करेंगे। मिथिला और मगध के संगम स्थल बेगूसराय जिला के सिमरिया में राजा जनक केे समय से कार्तिक महीने में कल्पवास की परंपरा चल रही है। पर 2019 में वैश्विक महामारी कोरोना का कहर शुरू होनेे के बाद से ऐसा कहर लगा की 2019 और 2020 में कल्पवास नहीं हो पाया।