उदघाटन के बाद छात्राओं के लिए बनी छात्रावास में आयी दरार, एक भी दिन नहीं रह सकी है छात्रायें

बेगूसराय : बेगूसराय जिले के मंझौल अनुमंडल मुख्यालय स्थित आरसीएस कॉलेज कैम्पस में यूजीसी द्वारा प्रदत्त महिला छात्रावास साल 2017 में उदघाटित होने के वाबजूद हाथी का दांत बना हुआ है। लगभग 80 लाख की लागत से साल 2014 में इस छात्रावास का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था और 2017 में इसके प्रथम तल का निर्माण पूर्ण होने के बाद महाविद्यालय के तत्कालीन प्रिंसिपल रामअवदेश सिंह ने उद्घाटन समारोह के अवसर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया था।

उस समय जीडी कॉलेज में सिंडिकेट की बैठक में भाग लेने के आये मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र कुमार सिंह,तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा,स्नातक एमलसी दिलीप चौधरी ने संयुक्त रूप से उद्घाटन किया था। उद्घाटन होने के बाद छात्रावास तो नहीं खुला लेकिन कॉलेज के अन्य फंड से इसके दूसरे तल का निर्माण कार्य प्रारंभ करवा दिया गया था। समय अंतराल में बिल निकलता गया निर्माण चलता रहा,अभी वर्तमान में छात्रावास के दूसरे तल पर लगभग डेढ़ साल से सेंटरिंग लगा हुआ है। छात्रावास के प्रथम तल के छत में भी दरार आ गया है। लेकिन आलम यह कि दूर दूर छात्रावास के खुलने की दिशा में कॉलेज प्रशासन के द्वारा कोई भी सकारात्मक पहल नहीं किया जा रहा है। बता दें कि उत्तरी बेगूसराय का एकमात्र डिग्री कॉलेज होने की वजह है लगभग 50 किलोमीटर दूर दूर तक से छात्रा कॉलेज में क्लास करने आती है।जिससे उनको बहुत परेशानियां उठानी पड़ती है। छात्रावास होने के वावजूद नहीं मिलने से छात्राओं में काफी रोष है।

साल 2018 में छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष अमृतांशु कुमार ने आमरण अनशन के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति से इस छात्रवास के निर्माण कार्य में हुए घोटाले की जांच की मांग भी किया था लेकिन विश्वविद्यालय स्तर के पदाधिकारियों ने इसपर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बराबर मांग के बाद भी अभी तक आधिकारिक स्तर पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। आरसीएस कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष सन्नी कुमार,महासचिव नीतीश कुमार,कोसाध्यक्ष सत्यम कुमार, सहित सभी छात्रसंघ के प्रतिनिधियों ने अविलंब छात्रावास को शुरू करने की मांग किया है।

इस समस्या पर आरसीएस कॉलेज के प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ नवीन सिंह ने कहा कि छात्रावास सुचारू रूप से शरू हो इसको लेकर महाविद्यालय के द्वारा इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं।