पिता के निधन के बाद मात्र 17 साल की उम्र में खड़ा कर दिया निःशुल्क शिक्षा देने बाला कंप्यूटर संस्थान , बन गया उदाहरण

एसकमाल / बेगूसराय : किसी ने सत्य ही कहा है। अगर आप मे कुछ करने की चाहत है तो तूफान भी आपको नहीं रोक सकता . ऐसा ही कुछ कर दिया है, बेगूसराय जिला के साहेबपुर कमाल प्रखंड के सैयद रासीद इकबाल ने। रास्ता बेहद ही मुश्किल थे, किंतु निष्ठा, लगन तथा विवेक से अपने उस मुकाम तक पहुंच ही गया। जो वो शायद कभी बचपन में सोचा था। मुख्य बात यह कि सांसद से लेकर डीएम तक उनके कामों की सराहना की

पिता निधन के बाद टूट चुका युवक हिम्मत के साथ आज पेश कर रहा है मिशाल द बेगूसराय से खास बातचीत में सैयद ने बताया कि होश संभालते ही देखा कि अपने आस पास के ग्रामीणों क्षेत्रों में शिक्षा का अभाव है, छोटे बच्चे पढ़ने लिखने की वजह फालतू के खेलकूद पर ज्यादा ध्यान दिया करते थे। उसी समय मेरे मन में एक ख्याल आया, क्यों ना अपने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को फ्री में पढ़ाया जाए। उस वक्त में 9th वर्ग में था। बात 2013 की है, उस समय से ही मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपने आस-पड़ोस के गरीब बच्चों को निः शुल्क पढ़ाना आरंभ किया।

धीरे-धीरे यह सिलसिला चलता रहा. जब भी किसी बच्चे को किताब व कलम की आवश्यकता पड़ती थी। मै अपने दोस्तों से पैसे मांग कर और चंदा करके किसी तरह सभी बच्चों के जरूरत को पूरा करते थे।पूरे 3 साल तक यह मुहिम चला तब मैने सोचा अब इससे कुछ बड़ा करना है, और इसी बीच मेरे पापा का निधन हो गया। और मै पूरी तरह से टूट गया। लेकिन मैंने हार नहीं मानी अपने कामों को उसी तरह चलने दिया जैसा चल रहा था। अपने पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब के लिए डाटा ऑपरेटर का काम शुरू किया। तभी मैने सोचा क्यों ना इस क्षेत्र के बच्चों के लिए एक कंप्यूटर संस्थान खोल दिया। क्योंकि उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर शिक्षा का बहुत बड़ा अभावा हुआ करता था।

सोचना तो बहुत ही आसान था। लेकिन करना बहुत ही कठिन था। क्योंकि उसके लिए लगभग 5 लाख रुपये की जरूरत पड़ता, फिर मैने धीरे-धीरे अपने पैसों को एकत्रित करने लगे और अपने दोस्तों रिश्तेदारों से पैसे मांगना शुरू कर दिए पूरे 2 साल तक मैने पैसे इकट्ठा किए। और अपने दम पर 2018 एक ACSM नामक संस्था कोचिंग की स्थापना कि. उस समय आसपास के लोगों ने बहुत ताना मारा इतना छोटा लड़का से कुछ नहीं होने वाला है।

जल्द ही यह शिक्षण संस्थान बंद हो जाएगा। फिर भी मैंने लोगों का परवाह नहीं किया। तब उस समय मैने एक वार्षिक स्कॉलरशिप प्रतियोगिता योजना मुहिम शुरू किया। इस परीक्षा योजना में 1 से लेकर 10 तक के विद्यार्थी भाग ले सकते थे। जिसका फीस मात्र 20रु था। इस योजना में जो भी विद्यार्थी प्रथम स्थान प्राप्त करता उसे एक लैपटॉप दिया जाता था। और सेकंड पर्सन को साइकिल दिया जाता था। और लास्ट 30 विद्यार्थियों को मेडल..

यह मुहिम लगातार वर्ष 2018 से चलती आ रही है। और आगे भी चलती रहेगी. बेगूसराय के सर्वेश कुमार ने भी हमारे इन कामों को सहारानिय किया। बलिया डीएसपी, साहेबपुरकमाल थानाध्यक्ष, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मुनाजिर हसन, सुरेंद्र विवेक तथा अन्य लोगों ने हमारे इन कामों को देखकर उनका हौसला बढ़ा है। उनसे पहले भी बेगूसराय के भूतपूर्व सांसद डॉ भोला सिंह ने हमारे संस्थान आ कर उनका मेरा हौसला बढ़ाया।

आगे उन्होंने बताया मैंने वर्ष 2018 नहीं एक एनजीओ की स्थापना की जिसका नाम अल हसनैन फाउंडेशन रखा गया इस फाउंडेशन में केवल गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दिया जाता है, वर्तमान समय में इस फाउंडेशन की मदद से लगभग 400 से अधिक गरीब बच्चे निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। तथा अंत में उन्होंने बताया अगर मुझे इसी तरह से सबका आशीर्वाद, मिलता रहे तो इससे बड़ा काम समाज के लिए करेंगे।