आखिर कौन है वो दोनों युवक जो इनदिनों सोसल मीडिया पर वीडियो क्लीप के माध्यम से खूब सुर्खियां बटोर रहा है, पढ़ें

बेगूसराय : जहां एक तरफ आजकल लोगों का लाइफ स्टाइल का डिजिटलाइजेशन हो रहा है और नए दौर की शुरुआत करने की समय की ओर भाग रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ समाज में आज भी कुछ इस प्रकार के परंपराएं लागू हैं, जिसके कारण समाज का एक बड़ा वर्ग कुंठित होता चला जा रहा है। यह कहावत सटीक बैठती है श्राद्ध भोज पर और जिसको लेकर आजकल सोशल मीडिया पर व्यापक पैमाने पर आंदोलन शुरू किया गया है। यह आंदोलन बेगूसराय जिला के तेघरा अनुमंडल के दो युवक अनंत कुमार और पार्थ सारथी ने शुरू किया है।

अनंत कुमार जिस का घर भगवानपुर प्रखंड के तेयाय गांव है। अनन्त कुमार ने बीकॉम स्नातक किया है फिलवक्त अनन्त एलएलबी के छात्र हैं। वही पार्थ सारथी पुणे से इंजीनियरिंग कर रहे हैं और वह इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। लॉकडाउन के कारण दोनों की मुलाकात तेघरा में हुई और दोनों ने श्राद्ध भोज पर एक वीडियो बनाया जो वीडियो मात्र 7 दिनों में 1200000 से अधिक लोगों ने देखा ।जिसमें चार लाख लोगों ने कमेंट किया और उन्होंने जमकर श्राद्ध भोज के बहिष्कार में अपनी सहमति दी उस वीडियो में दोनों युवकों ने समाज में श्राद्ध भोज का क्या स्वरूप है ।

इस पर जमकर चर्चा किया है उसने समाज के एक बड़े वर्ग जो भोज कराने में हमेशा आगे रहते हैं, उनका किरदार निभाया फिर किस प्रकार दबाव बनाया जाता है ,और यदि भोज करने वाला गरीब हो तो कैसे जमीन भी बेचना पड़ जाता है ,या कर्ज देकर किसी भी रुप से भोज करवाया जाता है । बाद में इन दोनों लड़कों ने इस भोज की जमकर भर्त्सना की इस वीडियो को बलिया लोकसभा के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने अपनी आईडी से शेयर किया तो वही बिहार के छोटे सरकार के नाम से जाने जाने वाले अनंत सिंह ने भी इस वीडियो को अपनी आईडी से शेयर किया दर्जनों थाना अध्यक्ष ने फोन के माध्यम से इन दोनों लड़कों को बधाई साधुवाद दिया।

इन दोनों लड़कों ने बताया कि हमारा उद्देश्य एक मजबूत एवं शिक्षित समाज बनाने का है। जबकि श्राद्ध भोज आज एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण वर्ष में लगभग करोड़ों रुपए केवल दो सौ भुज के नाम पर बर्बाद किए जाते हैं यदि उस रुपए को समाज के सर्वांगीण विकास के लिए लगाया जाए, पुस्तकालय में लगाया जाए ,स्कूल खोला जाए ,गरीब के बच्चों को पढ़ाया जाए तो उससे कई लाख गुना अधिक फायदा होगा। और उस पैसे से की मदद से गांव के लोग भी बड़े-बड़े पदों पर सुशोभित हो सकते हैं क्योंकि गांव मैं भी आज बहुत प्रतिभावान लोग हैं लेकिन पैसे के अभाव में वह पढ़ नहीं पाते और कुंठित हो जाते हैं।