आखिरकार सुबह सुबह क्या हुआ जो पटना जंक्शन पर दो सौ यात्रियों की छूट गयी ट्रेन

न्यूज डेस्क : रेलवे विभाग के अधिकारियों के कारनामा के कारण सुबह सुबह पटना जंक्शन पर करीब दो सौ यात्रियों को टिकट लेने के बाद भी गन्तव्य तक यात्रा करने से महरूम रहना पर गया। यह कारनामा बिहार की राजधानी पटना जंक्शन की है । रेलवे के अधिकारी कभी-कभी ऐसा काम कर देते हैं, जिससे रेलवे विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े हो जाते हैं।

पूरा मामला पूर्व मध्‍य रेलवे के दानापुर मंडल का है। पटना जंक्शन पर सुबह-सुबह घने कोहरे के बीच ऐसा ही हुआ। रेलवे के अधिकारियों की लापरवाही से स्‍टेशन पर काफी हंगामा हुआ । बताते चलें कि रेलवे की लापरवाही के कारण 200 से अधिक यात्री आरक्षित टिकट लेकर भी ट्रेन में सवार नहीं हो सके। यह वाकया 08184 टाटानगर सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन (Danapur-Tatanagar Superfast Special) के यात्रियों के साथ हुआ।

जंक्शन पर ट्रेन के आने से ठीक पहले बदल दिया प्‍लेटफॉर्म नम्बर बताते चलें कि कड़कती ठंड में सुबह छह बजे के आसपास दानापुर से टाटानगर को जाने वाली 08184 टाटानगर सुपरफास्ट स्पेशल ट्रेन के एक नंबर पर आने की सूचना प्रसारित की जा रही थी। जिसके बाद इस ट्रेन में पटना जंक्शन से यात्रा शुरू करने बाले सारे यात्री एक नंबर प्लेटफाॅर्म पर ही ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। जब ट्रेन आने को हुई तो अचानक इसके प्लेटफाॅर्म संख्या पर तीन पर आने की सूचना प्रसारित की जाने लगी।

अचानक अंतिम क्षण में प्लेटफाॅर्म के बदले जाने की सूचना मिलते ही यात्रियों में अफरातफरी मच गयी। जिसके बाद तीनों फुट ओवरब्रिज पर जाम लग गया । जिससे आपाधापी में करीब दो सौ लोग टिकट बुकिंग के बावजूद यात्रा से वंचित रह गए । यात्रा से वंचित हुए यात्रियों ने स्टेशन प्रबन्धक से टिकट वापसी की मांग करने लगे । परन्तु टिकट वापसी की बात को प्रबन्धन ने सिरे से खारिज कर दिया । जिससे गुस्साए यात्रियों का गुस्सा सातवें आसमान पहुंच गया और वे तोड़ फोर को उतारू हो गए । समय रहते सुरक्षा बलों ने सबको खदेड़ दिया ।

रेलगाड़ी के जंक्शन या स्टेशन पहुचने पर प्लेटफार्म बदलने की कहानी है पुरानी : यह वाकया सिर्फ पटना जंक्शन की ही नहीं है यह वाकया अलग-अलग जंक्शन और बड़े स्टेशनों पर अक्सर घटित होती रहती है। बताते चलें कि ट्रेन आने से पहले अनाउंस जिस प्लेटफार्म नंबर के बारे में किया जाता है ट्रेन के आने पर उस में तब्दीली कई बार कर दी जाती है, इन सब के पीछे एक थ्योरी जानकारों के हिसाब से निकल कर आ रही है कि प्लेटफार्म पर जो भी भेंडर होते हैं वह खाने-पीने की सामग्री या फिर ट्रेन में बैठे यात्रियों के उपयोग में आने वाली सामग्रियों के विक्रेता होते हैं , उनके द्वारा अपने प्लेटफार्म पर ट्रेन लगवाने के लिए स्टेशन प्रबंधन से काफी जुगाड़ लगाया जाता है और इस जुगाड़ में जिस प्लेटफार्म के भेंडर सफल हो जाते हैं उसी प्लेटफार्म पर लगती है। और जिस प्लेटफार्म पर सफल नहीं हो पाते हैं खुश करने के क्रम में उस प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर लगवा दिया जाता है। हालांकि इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं है परंतु जानकारों की माने तो ऐसा भी संभव हो सकता है।