मैं बेगूसराय अपने 50वे वर्षगांठ पर नगरवासियों को बधाई देता हूं…जानिए – मेरा गौरवशाली इतिहास…

मैं बेगूसराय, जिसकी पहचान के लिए नाम ही काफी है और मेरे जिलावासियों के लिए उनका यहाँ का होना ही उनकी अलग पहचान है। राष्ट्रीयऔर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज का दिन भले ही गांधी जयंती और शास्त्री जी को याद करते हुए मनाया जाता है। वही मेरे बच्चे कहीं भी रहे उनके लिए आज के दिन की विशेष बात यह रहती है कि आज से 50 वर्ष पूर्व उनके जन्मस्थान का ही जन्म हुआ था। 50 वर्ष के गौरवशाली इतिहास को खुद में समेटे हुए मुझे पहली बार 6 जनवरी 1870 का अनुमंडल बनाया गया। जहां से मेरा प्रगतिशील भविष्य चल पड़ा और मुंगेर से अलग करके मुझे बिहार सरकार ने 1972 में जिला के तौर पर स्थापित कर दिया।

जिले की पहचान मिलने के बाद मुझे आंतरिक तौर पर अन्य भागों में भी बांटा गया मेरा इतिहास हमेशा से काफी जागृत रहा है। अंग्रेजों के जुल्म की बात रही हो या प्रकृति के मार की सब को आसानी से झेल लिया और अपनी अमिट पहचान स्थापित कर ली है।एक तरफ मेरा प्रमंडल मुंगेर है। वही मुझे पांच अनुमंडल बेगूसराय,बलिया,तेघड़ा मंझौल और बखरी तथा 18 प्रखंडों में जो कि बेगूसराय, बरौनी, मटिहानी, वीरपुर ,शाम्हो अक्हा कुरहा तथा बलिया, डंडारी, साहेबपुरकमाल ,तेघरा, बछवारा, भगवानपुर ,मंसूरचक, चेरियाबरियारपुर, छौड़ाही, खोदावंदपुर, गढ़पुरा ,नाव कोठी में विभाजित किया गया है।

ताकि समाज की प्रशासनिक जिम्मेदारियों सही से निभाई जा सके। मैंने गांव कि संस्कृति को भी शहर बनने की राह में संभाले रखा है। वर्तमान में मेरे अंदर 229 ग्राम पंचायत और 1229 गांव है। मैं पहली बार 1967 में नगर पालिका बना और 2009 में मुझे प्रगति के दौर में नगर निगम घोषित कर दिया गया था।
मेरी सीमाएं अन्य राज्यों के साथ साझा होती है

मैं मां गंगा कि उत्तरी गोद में बसते हुए अपने उत्तर में समस्तीपुर, दक्षिण में लखीसराय को बसा रखा हूं और पूर्व में खगड़िया तथा मुंगेर को वहीं पश्चिम में पटना जिला के साथ सीमाएं साझा करता हूं।मेरा भौगोलिक क्षेत्रफ़ल 1918 किलोमीटर है। वही मेरी जनसंख्या 29.71 लाख लोगों की है। साक्षरता के स्तर में मेरी औसत साक्षरता जहां 63.87% आती है तो वहीं लिंगानुपात 895 का है।

बिहार के राष्ट्रकवि हो या रामसर स्थल सभी को मैंने अपने आँचल में पाला है ना सिर्फ लोगों के दिलों को, बल्कि उनके रिश्ते को भी जोड़ कर रखने वाला मैं हर तरह से ईश्वर से नवाजा गया हूं। बात चाहे ऐतिहासिक स्थलों की हो या प्रतिभावान नक्षत्रों की सभी से मेरी गोद इस तरह भरे है।जैसे वो रत्न दोबारा कभी कहीं नहीं हो पाएंगे। बात चाहे राष्ट्र कवि दिनकर की हो या फिर बिहार की एकमात्र रामसर स्थल कावर झील पक्षी अभयारण्य की या बेगूसराय संग्रहालय की यह सभी खुद मेंअद्भुत है।

साहस,शालीनता से लबरेज़ हूँ मैं आधुनिकता के दौर में मेरे पास रिफाइनरी थर्मल, फर्टिलाइजर कई सारी डेयरी और फैक्टरी सभी है। मैं वही बेगूसराय हूं जिसने न जाने कितने राजनेताओं को जन्म दिया है जो अपनी अमिट छाप, लोकसभा और राज्यसभा तक जाकर साबित कर चुके हैं। बात चाहे सूखे की मार की हो या बाढ़ के हाहाकार की या फिर किसी भी भयंकर महामारी कि मेरी जीवंतता कभी कम नहीं हो पाई। मैंने हमेसा समृद्धि और शानका जीवन जीते हुए लोगों के प्रतिरोध को भी झेलाऔर प्रभावशाली इतिहास बनाया है।मुझ में जितनी साहस और पराक्रम है उतनी ही शालीनता की पराकाष्ठा भी है। मैं संस्कारों से लबरेज संस्कृति की धरोहर को सहेजने वाला हूँ।मैं बेगूसराय हूं।

आज मेरा 50 वा वर्षगांठ है। जिसकी खुशी मैं अपने सभी नगर वासी जो मेरे साथ हमसफ़र की तरह रहते है और वो भी जो किसी कारणवश सिर्फ रास्तों की दूरियों में बंध गए हैं लेकिन दिल की नज़दीकियां बनाए रखी है। उन्हें बधाई देना चाहता हूं। साथ ही अपना साथ बना रहे ऐसी कामना भी करता हूं।