बेगूसराय के एसकमाल सीट का सियासी अपडेट्स और समीकरण, 40 वर्षों से इस दिग्गज का है बोलबाला

पोलिटिकल डेस्क : बेगूसराय में विधानसभा चुनाव का चक्कलस मचा हुआ है। बात बेगूसराय जिले सीट ऑफ मिनिस्टर्स बाले सीट की है। बात बेगूसराय के एसकमाल विधानसभा सीट की है जहाँ लगातार चालीस बरसों से क्षेत्र में एक ध्रुव पर रहे सिटिंग विधायक सह पुर्व मंत्री श्रीनारायण यादव इसबार चुनावी मैदान में नहीं हैं। वे अपने पुत्र को इसबार चुनावी रणक्षेत्र में उतारकर अपने ही दुर्ग को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके पुत्र शतानंद सम्बुद्ध उर्फ ललन यादव राजद के उम्मीदवार हैं।

उनका मुकाबला लोजपा के सुरेन्द्र विवेक, जदयू के अमर कुमार सिंह और एआईएमआईएम पार्टी से खड़े गोरेलाल यादव से है। इनके आलावे अन्य भी कई उम्मीदवार मैदान में हैं। साहेबपुर कमाल का चुनाव इसबार दिलचस्प मोड़ में है। श्रीनारायण यादव यहां से पहले पहल 1980 में लोकदल के टिकट पर चुनाव जीते थे। उसके बाद वे लगातार यहां से जीतते या हारते रहे। वर्ष 1985 में वे कांग्रेस पार्टी के शमसू जोहा से चुनाव हार गए। परन्तु 1990 में वे जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत कर फिर विधानसभा पहुंच गए। उसके बाद लगातार वे 1995 और 2000 के चुनाव में लगातार विजय होते रहे।

लेकिन, वर्ष 2005 के चुनाव में जदयू के डा जमशेद अशरफ ने उन्हें हराकर यह सीट जीत ली। वे नीतीश सरकार में मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए। वर्ष 2010 में जदयू ने परवीन अमानुल्लाह को इस सीट पर उम्मीदवार बनाकर उतारा। उन्होंने श्रीनारायण यादव को फिर हराकर यह सीट जीत ली थी। नीतीश सरकार में वह मंत्री भी बनायी गयीं। सरकार से मतभेद के बाद उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वर्ष 2014 में हुए विधानसभा उप चुनाव में लगातार दो बार से हारे श्रीनारायण यादव ने फिर चुनाव जीत कर अपना किला फतह कर लिया।

इसके बाद 2015 के चुनाव में भी वे चुनाव जीत गए। इस बार अपने पुत्र को मैदान में उतारकर उन्होंने क्षेत्र में अपनी पहचान और विरासत का सिंबल दिया है। वे अपने प्रचार में लगे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि पिता की पृष्ठभूमि पर साहेबपुर कमाल में वे अपनी धाक जमा पाते हैं या वंशवाद की अवधारणा को साहेबपुर कमाल की जनता नकार देती है।यह चुनाव रिजल्ट बाद ही पता चलेगा।