नावकोठी/बेगूसराय : मोहद्दीनपुर में हो रहे नौ दिवसीय श्री राम कथा के तीसरे दिन देर संध्या में कथा वाचक अखिलेशानंद जी महाराज ने कहा कि महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ आरंभ किया।इस प्रकार समस्त पण्डितों,ब्राह्मणों,ऋषियों आदि को यथोचित धन- धान्य,गौ आदि भेंट कर विदा करने के साथ यज्ञ की समाप्ति हुई।राजा दशरथ ने यज्ञ के प्रसाद चरा (खीर) को अपने महल में ले जाकर अपनी तीनों रानियों में वितरित कर दिया। प्रसाद ग्रहण करने के परिणामस्वरूप तीनों रानियों ने गर्भधारण किया।
कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जो कि नील वर्ण, चुंबकीय आकर्षण वाले,अत्यन्त तेजोमय, परम कान्तिवान तथा अत्यंत सुंदर थे। इसके पश्चात् महारानी कैकेयी के एक तथा तीसरी रानी सुमित्रा के दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ।सम्पूर्ण राज्य में आनन्द मनाया जाने लगा।देवता अपने विमानों में बैठ कर पुष्प वर्षा करने लगे।चारों पुत्रों का नामकरण संस्कार महर्षि वशिष्ठ के द्वारा किया गया तथा उनके नाम रामचन्द्र, भरत,लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखे गए।प्रभु रामचन्द्र अत्यन्त विलक्षण प्रतिभा के थे जिसके परिणामस्वरू अल्प काल में ही वे समस्त विषयों में पारंगत हो गए।वे निरन्तर माता-पिता और गुरुजनों की सेवा में लगे रहते थे।
महाराज दशरथ का हृदय अपने चारों पुत्रों को देख कर गर्व और आनन्द से भर उठते थे। कथावाचक ने कहा कि भगवान का जन्म असुरों और पापियों का नाश करने के लिए हुआ था।भगवान राम का जीवन चरित्र अनंत सदियों तक चलता रहेगा। राम कथा में पिता के प्रति,माता के प्रति और भाई के प्रति प्रभु राम का जो स्नेह रहा वो सदा के लिए अमर है।इस दौरान राजेंद्र ठाकुर, रामविलास पंडित,नीरज चौधरी, अरुण चौधरी,चंदन चौधरी सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने श्री राम कथा का आनंद लिया।