ऐतिहासिक इटवा पोखर के अस्तित्व पर संकट

बखरी (बेगूसराय) जल संचय के प्रति हम सजग नहीं है। अगर सजग होते तो हमारे नगर में पूर्वजों द्वारा खोदवाए गए तालाब नहीं सूखते। हम बूंद-बूंद पानी के लिए नहीं तरसते। क्योंकि जल संचय का मुख्य स्त्रोत तालाब व नहर ही होता है। जिसमें वर्षा में पानी का ठहराव व संग्रह होता है। आज इसे आमजन भूल रहे हैं। हर गांव में तालाब है, कितु उसका अस्तित्व आज खतरे में है। इसकी मूल वजह इसकी महत्ता को लोग नहीं समझ पा रहे हैं।

पोखर का निर्माण

बताया जाता है कि यह पोखर सन 1960 ई में तत्कालीन मुखिया पशुपति नाथ ठाकुर के कार्यकाल में बनवाया गया. उस वक्त गांव के कुछ प्रमुख व्यक्ति के निगरानी में लगभग चौदह हजार रुपये इकट्ठा कर रामपुर के ठिकेदार के द्वारा बनाया गया. जिसमें प्रभुनारायण वर्मा, मदन साहु, रामबहादुर प्रसाद, का योगदान अहम रहा था

सरकारी तथा निजी के लड़ाई में ऐतिहासिक तालाब मक्खाचक स्थित इटवा पोखर का मिट रहा अस्तित्व व क्षेत्र में अतिक्रमण के शिकार पोखर

नगर पंचायत के वार्ड संख्या छह तथा सात की सीमा पर अवस्थित मक्खाचक के इटवा में बना ऐतिहासिक तालाब का अस्तित्व आज खतरे में है। क्योंकि कुछ जानकारों का बताना है कि यह तालाब करीब साठ वर्ष पुराना है। जो गैर मजरुआ आम जमीन पर बना है.वही कुछ लोग इसे दस पन्द्रह साल पूर्व अपनी जमीन बता कर पोखर उगाही किये जाने की बात कही जा रही है. जो अब सूख रहा है.जबकि वर्ष 2004-10 के बीच पंचायत स्तरीय योजना से कई वार इसकी मिट्टी काटकर सौंदर्य किया गया।

ऐतिहासिक इटवा पोखर
ऐतिहासिक इटवा

सिर्फ कोरम के तौर पर हुई खोदाई से इसके अस्तित्व की रक्षा भी नहीं हो पाई। लोगों का बताना है कि इस तालाब से कई कार्य होते थे। आम लोगों के साथ साथ मवेशी भी यहां स्नान करते थे। वहीं आम जन भी कपड़ा, धोने के लिए यहां पहुंचते थे। यह कृषि कार्य के लिए भी उपयोगी था। जिससे किसान खेतों मे पटवन करते थे।

वहीं कई मौकों पर धार्मिक कार्य के लिए भी इटवा पोखर का इस्तेमाल होता था। कितु, समय के साथ सब कुछ धीरे धीरे समाप्त होता चला गया। वहीं तालाब भी सूखते चले गए। इसकी रक्षा हम नहीं कर सके। जबकि इसके विपरीत सलौना, राटन, शकरपूरा, मक्खाचक सहित कई पोखर को लोगो द्वारा ज़बरदस्ती अतिक्रमण कर घर मकान बना लिए हैं तथा पर्चाधारी होने का दंभ भी भरते हैं।

जल के लिए जरुरी है पोखर

यह अलग बात है कि संपूर्ण सृष्टि के 70 प्रतिशत भागों में जल ही है। कितु, 03 प्रतिशत जल ही हमारे मानवीय जीवन के लिए उपयोगी है। उसमे भी अब जल का स्तर धीरे-धीरे घटता जा रहा है। जो आने वाले समय के लिए एक खतरनाक संकेत है। जल स्त्रोत के लिए जरूरी है कि जगह- जगह पोखर बनाए जाए. वहीं पूर्व से बने पोखर की रक्षा कर इसमें जल संचय के प्रति लोगों को जागरूक बनाया जाए।

क्या कहते हैं ग्रामीण

श्रीराम राय नेता

मक्खाचक का यह पोखर ऐतिहासिक है। साठ वर्ष पुराने इस तालाब का अस्तित्व मिट रहा है। जो हमारे लिए एक चिंता का विषय है। यह सही बात है कि पूर्वजों के द्वारा बनाए गए तालाब जल स्त्रोत के मुख्य स्त्रोत थे। जिसकी रक्षा के प्रति हम सजग नहीं है।

राजेश साह
पूर्व उपमुखिया मक्खाचक

जल संचय में तालाब की महत्ता को कम नहीं आंका जा सकता है। जिसके लिए लोगों के बीच जागरूकता की जरूरत है। वार्ड छह व सात के जनता ही नहीं एक अभियान के तहत नगर के अलावे प्रखंड क्षेत्र के कोने कोने में बने तालाब एवं नहर की रक्षा के लिए आम जन को आगे आना चाहिए।

बखरी के सीओ
कृष्ण मोहन प्रसाद के अनुसार

अपने बखरी प्रखंड क्षेत्र में एक भी तालाब या पोखर अतिक्रमण नही किया हुआ है. हालांकि इस बाबत पता किया जा रहा है. मालूम चलने पर अतिक्रमण किये हुये लोगों पर कार्यवाई किया जायेगा।