आखिर Hero और Honda क्यों हुए थे अलग? आज जान लीजिए असली वजह…

Hero और Honda दोनों कंपनियों ने साल 1984 में आपसी समझौता करके अपनी कंपनी का नाम हीरो-होंडा रखा था. दोनों में 2010 तक अच्छी साझेदारी चली और उसके बाद दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए. हुआ ऐसा कि होंडा ने अपनी सारी साझेदारी हीरो को बेच कर खुद को अलग कर लिया.

लगी अभी दोनों कंपनियां अपना अलग-अलग सिस्टम ऑपरेट कर रही हैं. लेकिन इन दोनों कंपनियों को अलग होने का असली वजह शायद ही किसी को पता होगा. चलिए इसके बारे में जान लेते हैं.

बिजनेस डेवलपमेंट

हीरो और हौंडा ने भारत में अपनी गाड़ियों की चैन बनाने की योजना शुरू कर दी थी. इनका मुख्य उद्देश्य था कि ग्लोबल स्तर पर विस्तार किया जाए और खुद की ब्रांडिंग यानी अपनी पहचान को स्थापित किया गया. हालांकि होंडा भी अपना ध्यान इसी दिशा में लगा रही थी ताकि लोग उसे भी जान सके. दोनों का मुख्य उद्देश्य था कि अपनी-अपनी ब्रांड की उपस्थिति मार्केट में दर्ज कराई जाए.

ब्रांडिंग और आईडेंटिटी

जैसे ही दोनों की आपस से साजिदारी खत्म होती है वैसे ही हीरो के लिए होंडा से अलग अपनी ब्रांड आईडेंटिटी स्थापित करने में लग जाता है. बेहतर हुआ कि हीरो ने अपना हीरो मोटोकॉर्प के नाम से ऑपरेशन जारी रखते हुए हौंडा ब्रांड का नाम और लोगो हटा दिया. इतना सब करने के बाद वह स्वयं अपना ब्रांड स्थापित करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने लगा.

टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट

जैसे ही इनकी आपस में साझेदारी खत्म होती है. उधर हीरो मोटोकॉर्प अपनी टेक्नोलॉजी विकसित करने में जुट जाता है. जबकि पहले टेक्नोलॉजी होंडा डेवलप करती थी. हालांकि दोनों की साझेदारी खत्म होने के बाद हीरो ने अपना कदम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट में काफी तेजी से आगे बढ़ाया.

ग्लोबल एक्सपेंशन

दरअसल वैश्विक स्तर पर विस्तार करने के लिए हीरो मोटोकॉर्प और होंडा की मजबूत वैश्विक उपस्थिति से टकराव हो रहा था. लेकिन जैसे ही दोनों कंपनियों ने साझेदारी खत्म की तो इस बंधन से दोनों मुक्त हो गई. इसके बाद दोनों ने अपना-अपना वैश्विक विस्तार रणनीति को तैयार करने लगे और लगातार आगे बढ़ते गए. गौरतलब है कि साझेदारी का होने के 13 साल बाद भी हीरो मोटोकॉर्प आज भारत में सबसे अधिक दोपहिया वाहनों का प्रोडक्शन करता है जबकि होंडा दूसरे नंबर पर बना हुआ है.