अब Tata की हो जाएगी Bisleri – भावुक चेयरमैन ने क्‍यों बेची कंपनी..

डेस्क : प‍िछले करीब 30 वर्षों से थम्सअप (Thums Up), गोल्ड स्पॉट ( Gold Spot), लिम्का (Limca) और कोका कोला (CocaCola) जैसे सॉफ्ट ड्रिंक कम्पनियों की ब‍िक्री करने वाली ब‍िसेलरी कंपनी अब TATA Group के हाथों में ब‍िकने जा रही है. ब‍िसलेरी इंटरनेशनल (Bisleri International) और Tata कंज्यूमर प्रोडक्‍ट लिमिटेड (Tata Consumer Ltd, TCPL) के बीच यह डील 6000 से 7000 करोड़ के बीच होने की ही उम्‍मीद है. एक मीड‍िया र‍िपोर्ट के अनुसार इन दोनों कंपन‍ियों के बीच इस डील को लेकर प‍िछले 2 साल से बातचीत चल रही है.

बेटी जयंती की ब‍िजनेस में कोई दिलचस्पी नहीं

आपको बता दें की Bisleri की शुरुआत जयंतीलाल चौहान (Jayantilal Chauhan) ने वर्ष 1984 में की थी. इस समय कंपनी के चेयरमैन रमेश जे चौहान (Ramesh J Chauhan) हैं और उनकी उम्र तकरीबन 82 वर्ष है. वह कहते हैं Bisleri को अगले स्तर पर ले जाने के लिए उनके पास कोई उत्तराधिकारी नहीं है. उन्‍होंने कहा मेरी बेटी जयंती का ब‍िजनेस में ज्‍यादा दिलचस्पी नहीं है. आपको बता दें Bisleri देश की सबसे बड़ी पैकेज्ड वाटर कंपनी है.

TATA ग्रुप भव‍िष्‍य में और व‍िस्‍तार करेगा

Bisleri के चेयरमैन ने आगे कहा क‍ि मुझे उम्‍मीद है टाटा ग्रुप (Tata Group) भव‍िष्‍य में इसका और व‍िस्‍तार करेगा. हालांक‍ि Bisleri को बेचने का न‍िर्णय मुझे परेशान करने वाला है. मैं Tata की कल्‍चर और उसकी वैल्‍यू को काफी पसंद करता हूं. यही कारण है क‍ि मैंने इसे TATA Group को बेचने का फैसला क‍िया. उन्‍होंने यह बताया इसके अलावा भी कई ग्रुप इसे खरीदने के काफी इच्‍छुक थे.

मौजूदा मैनेजमेंट 2 साल तक काम करेगा

Tata कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और और Bisleri के बीच हुए करार के अनुसार बिसेलरी (Bisleri) का मौजूदा मैनेजमेंट 2 साल तक काम करता रहेगा. एक साक्षात्‍कार में चौहान ने बताया क‍ि Tata Sons के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ( N Chandrasekaran) और TATA कंज्यूमर के CEO सुनील डिसूजा ( Sunil D’Souza ) के साथ कई चरणों की बातचीत के बाद यह फैसला क‍िया गया. इस दौरान मुझे यह लगा क‍ि ये लोग बेहद अच्छे हैं.

Bisleri के चेयरमैन कहते हैं, कंपनी को बेचने के बाद म‍िलने वाले पैसों का मैं क्‍या करूंगा, इस बारे में मैंने अभी तक सोचा नहीं है. लंबे समय तक मेहनत करने के बाद इसे तैयार किया है. इसलिए मुझे ऐसे खरीदार की तलाश थी जो कंपनी के साथ कर्मचारियों का भी अच्छा ख्‍याल रखें.